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सोमवार, 7 अप्रैल 2025

नल-जल योजना लोगों के लिए बना अभिशाप : लूट खसोट का बना अड्डा

 नल-जल योजना लोगों के लिए बन गया अभिशाप, लूट-खसोट का बना अड्डा





सुमित कुमार राउत की रिपोर्ट

मधुबनी/लदनियां




मधुबनी जिले के लदनियां प्रखंड सह अंचल कार्यालय के निकट वर्षों पूर्व करोड़ो रुपये दुरुपयोग का सच्चाई प्रकाश में आया है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के ग्रामीण जलापूर्ति योजना लोगों के लिए अभिशाप बन कर रह गया है। इतना ही नहीं बिहार सरकार के द्वारा बुधवारी जांच में भी अधिकारियों के द्वारा जमीनी सच्चाई को छुपाया गया है। परिणाम स्वरूप जिला पदाधिकारी के द्वारा नामित अधिकारी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

मधुबनी जिलाधिकारी अगर जिलास्तर के किसी निष्पक्ष पदाधिकारी से मामले की जांच कराएं, तो पीएचईडी एवं विभिन्न पंचायतों में मुखिया और वार्ड क्रियान्वयन प्रबंधन समिति के कार्य संस्कृति एवं ग्रामीण जलापूर्ति योजना का असलियत उभरकर सामने आ सकता है।

मिली जानकारी के अनुसार वितीय वर्ष 2018-2019 में ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अधीन महथा पंचायत के लदनियां प्रखंड मुख्यालय बाजार के वार्ड संख्या-1 से 5 वार्ड को नलजल योजना से जल से आच्छादित करने के लिए चयन किया गया। 

उक्त योजना मद से करोड़ों के लागत से नलजल योजना का शुभारंभ किया गया। 

पीएचईडी विभाग द्वारा वर्षों पूर्व वाटर सप्लाई के लिए लगाये लोहे का पाइप लाइन उखाड़कर प्लास्टिक पाइप लाइन लगाया गया। नया पम्प हाउस का निर्माण कराया गया।

बिडंबना है उक्त पंप हाउस को विद्युत कनेक्शन नहीं किया गया। विभाग के लापरवाही से विद्युत आपूर्ति के लिए बिजली पोल की वायरिंग नहीं कराया जा सका। करोड़ों रुपये खर्च के बाद भी लोगों को एक बूंद स्वच्छ पेयजल नसीब नहीं सका। योजना स्थल पर अभीतक प्राक्कलन बोर्ड नहीं लगाया जा सका, जो जांच से ही असलियत सामने आयेगा।


ज्ञात हो कि विभाग द्वारा पूर्व में 16 मई 2008 को एकहरी गांव में एक महती सभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विभाग के पूर्व मंत्री अश्वनी चौबे एवं तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक स्व. कपिलदेव कामत के उपस्थिति करोड़ों के लागत से बने ग्रामीण जलापूर्ति योजना का रिमोट से उद्घाटन किया था। परंतु अधिकारीयों के लालफीताशाही के कारण तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक ने भी जमीनी हकीकत से राज्य स्तरीय नेताओं स्वयं सरकार को अवगत कराना उचित नहीं समझा। कारण संवेदक को उद्घाटन के बाद लूट-खसोट का खुला छुट दिया गया। मुख्यमंत्री के महत्वाकांक्षी योजना से एक बूंद पानी नहीं टपक सका। उक्त नल-जल योजना लोगों के लिए अभिशाप बन गया, जो विभाग के सच्चाई बयां करती है।


इधर विभाग ने 2008 में मुख्यमंत्री द्वारा उदघाटित ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत निर्मित वाटर टावर वाटर पम्प हाउस के अलावा कमरा का रंग-रोगन कराया गया है। वाटर पंप हाउस के दीवार पर जहां एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा किया गया उद्घाटन प्लेट लगा है। वही दूसरी ओर बिहार सरकार का लोगो लगाकर एक बोर्ड बनाया गया, जिसमें ग्रामीण जलापूर्ति योजना का बोर्ड लगाया गया। 

बोर्ड में गृहजल संयोजन संख्या लिखा है, जबकि संयोजन संख्या अंकित नहीं अंकित है।

कनीय अभियंता का नाम प्रवीण कुमार एवं संवेदक का नाम रामपुकार साह एवं वाटर पंप ऑपरेटर का नाम शंकर झा अंकित है। आच्छादित वार्ड संख्या-2,3,4 एवं 5 अंकित है। जांच की विषय है कि आखिर वार्ड संख्या-1 के लोगों को इस योजना का लाभ से बंचित किया गया है। इतना ही नहीं प्रखंड विकास पदाधिकारी को आम लोगों के द्वारा शिकायत प्राप्त होने के बाद भी जांच नहीं किया जाना कहीं न कहीं लूट खसोट में संलिप्तता के ओर इशारा कर रहा है।


इधर सहायक अभियंता पीएचईडी झंझारपुर नेहा नूपुर ने पूछने पर बताया कि मामला मेरे संज्ञान में नहीं है, जल्द ही जांच कराई जायेगी।

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