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Saturday, 28 December 2024

डॉ. मनमोहन सिंह को "भारत रत्न" दिया जाए : प्रो.शीतलाम्बर झा

 डॉ. मनमोहन सिंह को "भारत रत्न" दिया जाए : प्रो.शीतलाम्बर झा





न्यूज़ डेस्क : मधुबनी

28:12:2024





  प्रो शीतलांबर झा, पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष सह प्रदेश प्रतिनिधि ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि देश के आर्थिक शिल्पकार, विश्व प्रख्यात अर्थशास्त्री पूर्व प्रधानमंत्री पद्मविभूषण डॉ मनमोहन सिंह जी की आकस्मिक निधन से देश को अपूरणीय क्षति हुई है , देश ने सच्चा देशभक्त सर्वश्रेष्ठ बेटा को खोया है जिसे निकट भविष्य में भरा नहीं जा सकता है वे मृदुभाषी एवं सादगी के प्रतिमूर्ति थे , वे एकीकृत भारत के एक सामान्य परिवार में जन्म लेकर बेमिसाल शिक्षा ग्रहण कर दुनिया में प्रसिद्द हुए उनके जीवन के एक एक पल देश के तरक्की में लगा रहा जो दुनिया के लिए अनुकरणीय है ।

प्रो झ ने कहा वे अपनी सेवा विश्विद्यालय के शिक्षक से शुरुआत कर बड़े मुकाम तक पहुंचे वे वाणिज्य एवं वित्त विभाग में आर्थिक सलाहकार रहे, योजना आयोग के अध्यक्ष बने ,आरबीआई के गवर्नर बने , पहली बार 1991 में राज्यसभा के सांसद बने और देश के वित्त मंत्री तब बने जब देश आर्थिक रूप से दोराहे पर खड़ा था ,विदेशी बैंक के साथ साथ कोई देश ऋण तक देने को तैयार नहीं था ,देश के पास मात्र दो सप्ताह का आयात निर्यात करने के लिए विदेशी मुद्रा बचा था उस विषम स्थिति में सरदार साहेब ने अपनी बुद्धिमत्ता से देश को आर्थिक संकट से बाहर निकाला ,एक कुशल राजनेता की तरह उन्होंने फिर से दुनिया के अंदर भारत की प्रतिष्ठा को स्थापित किया।

प्रो झा ने कहा जब उन्हें देश के 14 वें प्रधानमंत्री के रूप में कांग्रेस पार्टी द्वारा चयन किया गया तो उनके सामने बहुत बड़ा संकट था वे सभी झंझावातों को पीछे छोड़ते हुए देश को पांच ट्रिलियन डालर इकोनॉमी का आधार शिला रखा , खाड़ी देशों में युद्ध होने से तेल की कीमत दुनिया में आसमान छूने लगी जिससे आम उपभोक्ताओं को रोजमर्रा की चीजें महंगी होने लगी ,दुनिया के बड़े बड़े देश मंदी के कारण डर गए लेकिन डॉ मनमोहन सिंह जी की दूरदृष्टी ने इन सभी झंझावतों को पीछे छोड़ते हुए देश के इकोनॉमी दस प्रतिशत पर ला खड़ा किया बल्कि अमरीका जैसे शक्तिशाली राष्ट्र के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा भी उन्हें सलाह लेने के लिए मजबूर हो गए इसलिए उन्हें देश के आर्थिक उदारीकरण के जनक कहा जाता है जो दुनिया के पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था देश को बना दिया ।

प्रो झा ने उनके प्रधानमंत्रित्वकाल की चर्चा करते हुए कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जी एवं श्रीमती इंदिरा गांधी जी की बाद सबसे लंबे समय दस वर्षों तक 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे अपने कार्यकाल में उन्होंने बेमिसाल काम किए पारदर्शिता के लिए प्रधानमंत्री से लेकर निचले अधिकारी तक से जानकारी लेने के लिए सूचना का अधिकार, देश के गरीब गरबा भूखों न रहे इसके लिए खाद्य सुरक्षा गारंटी कानून भोजन का अधिकार , देश के सभी बच्चे शिक्षा ग्रहण करे इसके लिए शिक्षा का गारंटी कानून , देशभके सभी लोगों को स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए स्वास्थ्य गारंटी कानून, किसानों मजदूरों को प्रोत्साहन के लिए बहत्तर हजार करोड़ रुपए से कृषि ऋण की माफी कर दिए , गांव के गरीबों एवं मजदूरों को रोजगार के लिए मनरेगा लाकर कम से कम एक सौ दिनों तक काम देने का कानून बना,  किसानों का जमीन कोई धनवान कंपनी या सरकार मामूली रूपये पर न ले उसके लिए भूमि अधिग्रहण कानून लाकर उन्हें सरकारी दर से चार गुणा रुपया देकर ही अधिग्रहण करने का कानून बनाया गया , सरकारी कामों के लिए आधार कार्ड का शुरुआत हुआ , अमरीका जैसे शक्तिशाली देश से न्यूक्लियर पावर समझौता किया, देश में विदेशी कंपनियों के लिए द्वार खोले गए जिससे आज देश के बड़ी संख्या में शिक्षित युवक एवं युवतियों को बहुत ही बेहतरीन सैलरी पर नौकरी मिली , सरकारी भर्ती के लिए द्वार खोले गए , देश को सामरिक दृष्ट से मजबूत बनाने के लिए सैनिकों को आधुनिकीकरण किए साथ ही कई लंबी दूरी का तक मार करने बाली अग्नि , आकाश जैसे मिसाइल का निर्माण हुआ , देश में कोई क्षेत्र ऐसा नहीं जिसे मनमोहन सिंह अछूता छोड़े, उद्योग, कृषि , साइंस ऑफ टेक्नोलॉजी, बैंकों का पंचायत स्तर तक विस्तारीकरण , 27 गरीबों के गरीबी रेखा से बाहर निकाले , देश में सड़कों एवं रेलवे का विस्तारीकरण हुआ कुल मिलाकर देश के चौमुखी विकास के लिए उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ा , मनमोहन जी नियमित रूप से प्रेस कांफ्रेंस करते थे संवाददाताओं के सवाल जवाब का उत्तर देते थे वे अद्वितीय महापुरुष थे वे आज के राजनेता की तरह संकीर्ण नहीं थे पक्ष , विपक्ष के नेताओं का समान रूप से सम्मान करते थे ,उनके लिए देश सबसे महत्वपूर्ण था वे अपने परिवार के लोगों तक को सरकारी गाड़ी ले जाने का अनुमति नहीं देते थे ।

प्रो झा ने महान विभूति को भारत रत्न देने की सरकार से मांग किया है ।

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