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Thursday, 7 November 2024

झंझावतों से टकराते हुए जीवन में आगे बढ़ता पूर्व अंडर अफसर करण कामत

 झंझावातों से टकराते आगे बढ़ता पूर्व अंडर अफसर करण कामत





रिपोर्ट : उदय कुमार झा

मधुबनी : 08:11:2024



घोघरडीहा थानाक्षेत्र के नवटोली परसा गाँव में इन्द्रनारायण कामत के घर एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम करण कामत रखा गया । करण की प्रारंभिक शिक्षा निजी विद्यालय से हुई और मैट्रिक की परीक्षा उसने भोला उच्च विद्यालय, डयोढ़ (घोघरडीहा) से उत्तीर्ण की । करण दो भाईयों में बड़ा है । बचपन से ही दिली तमन्ना थी कि अच्छे से पढ़ाई कर डॉक्टर बनूँ और समाज की सेवा करूँ । किन्तु, होनी को कुछ और ही मंजूर था । जब विज्ञान विषय लेकर उसे 11वीं कक्षा में नामांकन करवाना था कि अचानक पूरा विश्व एक महामारी - कोरोना - की चपेट में आ गया । पूरे भारत में एहतियातन लॉक डाउन लगा दिया गया । आर्थिक रूप से अति सामान्य परिवार का भरण-पोषण करण के पिता इन्द्रनारायण कामत की नौकरी के बल पर हो रहा था । लॉक डाउन में उनकी नौकरी चली गई । परिवार आर्थिक तंगी की चपेट में आ गया । विज्ञान की पढ़ाई महँगी होती है और परिवार उस आर्थिक बोझ को सँभालने लायक तब नहीं था । फलस्वरूप, करण ने नज़दीकी चन्द्रमुखी भोला महाविद्यालय, डयोढ़ में 11वीं कक्षा में अपना नामांकन करवा लिया और डॉक्टर बनने की इच्छा को दमित कर दिया । 


उसी वर्ष 34 बिहार बटालियन एनसीसी की छठी कंपनी उस महाविद्यालय में खोली गई और करण ने एनसीसी में भी अपना नामांकन करवा लिया । अपनी मेहनत और प्रतिभा के बल पर वह जल्द ही अंडर अफसर बना और "बी" तथा "सी" प्रमाणपत्र परीक्षा पास की । एनसीसी में आने के बाद उसे अपनी जिम्मेवारी और देशप्रेम की भावना का एहसास हुआ । उसने सुदूर ग्रामीण वातावरण में रहकर अनुभव किया था कि गाँव के भोले-भाले लोग अपने कानूनी अधिकारों के प्रति सजग नहीं हैं और कई जगह छले जाते हैं । वैसे लोगों की मदद करने के लिए उसने ठान लिया कि वह एक अच्छा विधिवेत्ता बनेगा और वैसे लोगों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक करेगा , जो आजतक जुल्म के खिलाफ आवाज़ तक नहीं उठा पाते । कभी आर्थिक तंगी, कभी पारिवारिक तो कभी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों को झेलता और उनसे लड़ता हुआ करण अब मेरठ स्थित शोभित विश्वविद्यालय से इंटीग्रेटेड एल.एल.बी. की पढ़ाई काफी तन्मयता से कर रहा है । 

विश्वासपूर्वक यह कहा जा सकता है कि एनसीसी का यह पूर्व अंडर अफसर जल्दी ही कानून की पढ़ाई पूरी कर अपने निश्चय पर आगे बढ़ेगा । उसकी इच्छा दिल्ली उच्च न्यायालय में अपना काम एक अच्छे अधिवक्ता के रूप में शुरू करने की है । इस प्रकार, आर्थिक तंगी के साथ ही दूसरी समस्याओं से जूझता यह पूर्व कैडेट शीघ्र ही कानूनी क्षेत्र में एक चमकता सितारा बनकर उभरने की आशा दे रहा है ।

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