बाहरी चमक-दमक से दूर महावीर स्थान नाट्य कला परिषद आज भी है जीवन्त
रिपोर्ट : उदय कुमार झा
24:10:2024
मधुबनी : आज के इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल मनोरंजन युग से अपने को अलग रखते हुए पंडौल प्रखण्ड के पाहीटोल में स्थित महावीर स्थान नाट्य कला परिषद आज भी जीवन्त है । इसकी स्थापना 1968 ई.में पाहीटोल के प्रबुद्ध जन ; यथा - देवनाथ मिश्र, धर्मनाथ मिश्र, दिवानाथ मिश्र, छत्रनाथ मिश्र, घननाथ मिश्र, कामनाथ मिश्र इत्यादि कई गणमान्य लोगों द्वारा की गई ।
प्रत्येक वर्ष छठ महापर्व के अवसर पर हिन्दी एवं मैथिली में रचित नाटकों का मंचन किया जाता है । लोगों में समयाभाव को देखते हुए दो रातों में नाटक का मंचन एवं एक रात सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है । अपने स्थापना काल से ही हर वर्ष यह परंपरा कायम है केवल 1984 ई.को छोड़कर । 1984 ई.में तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी की निर्मम हत्या होने के कारण शोकाकुल लोगों ने नाटक का मंचन नहीं किया था । इस संस्था के प्रत्येक वर्ष का रिकॉर्ड उपलब्ध है । महावीर स्थान नाट्य कला परिषद कभी भी बाहरी लोगों से चंदा नहीं लेती है और न स्वीकार करती है ।
इस संस्था से सुकुल मिश्र, मुकुल मिश्र, सुबोध मिश्र, शंकर मिश्र, निखिल मिश्र, पद्मनाथ मिश्र, बच्चा मिश्र, अमरनाथ मिश्र , दिनेश मिश्र सहित कई लोग जुड़े हुए हैं । नाटकोपयोगी सभी सामान प्रदान करनेवाले लोग भी गाँव के ही हैं जिनमें देवीनाथ मिश्र, दिवानाथ मिश्र, प्रभानाथ मिश्र, माधव मिश्र, कामनाथ मिश्र, विश्वम्भर मिश्र आदि का नाम उल्लेखनीय है । संजय मिश्र, विश्वम्भर मिश्र, बच्चा मिश्र, दिगंबर मिश्र आदि नाटक मंचन के मंजे हुए कलाकार हैं, जिनका अभिनय काफी प्रभावशाली होता रहा है ।
वर्त्तमान समय में जब आज का युवा वर्ग अपनी संस्कृति से विमुख होता जा रहा है, वहाँ नाट्य-मंचन की परंपरा को जीवन्त रखना यहाँ के लोगों की बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है जो काफी चर्चित एवं प्रशंसनीय है ।
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