फाइलेरिया मरीजों की पहचान के लिए जिले में चल रहा नाईट ब्लड सर्वे
-कुछ बूंद खून जांच कराने से होने से पहले रोका जा सकता है फाइलेरिया
दरभंगा : 07 जुलाई
सामान्य लोगों को फाइलेरिया ग्रसित होने से पहले ही पहचान करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 13 जुलाई तक जिले के चयनित प्रखंडों में नाईट ब्लड सर्वे कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा प्रखंडों के चिन्हित क्षेत्रों में रात 08:30 बजे से 12 बजे तक कैम्प लगाकर स्थानीय लोगों का ब्लड सैंपल इकट्ठा किया जा रहा है। जिसकी संबंधित प्रखंड में माइक्रोस्कोप से जांच करते हुए लोगों के शरीर में फाइलेरिया के कीटाणु होने की पहचान की जा रही है। खून जांच में फाइलेरिया कीटाणु की पहचान होने पर संबंधित व्यक्ति को तत्काल चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई जाएगी ताकि वे फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रह सके।
चयनित प्रखंडों में हो रहा है नाइट ब्लड सर्वे :
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. ए.के मिश्रा ने बताया कि नाईट ब्लड सर्वे जिले के कुशेश्वरस्थान पूर्वी के केवटगामा व धबोलिया बेनीपुर के बहेड़ा व रामोली हायाघाट के पौराम व श्रीपुर बहादुरपुर अर्बन क्षेत्र -1अलीनगर के वार्ड नंबर- 5 व वार्ड नंबर 8,अर्बन क्षेत्र -2 चुनाभट्टी के वार्ड नंबर 16 एवं 22, अर्बन क्षेत्र - 3 उर्दू बाजार के वार्ड नंबर 28 एवं 31, अर्बन क्षेत्र -4 खाजासराय के वार्ड न. वार्ड नंबर 39 व 46 में अभियान चलाया जा रहा है.
कुछ बूंद खून जांच कराने से होने से पहले रोका जा सकता है फाइलेरिया :
पिरामल के जिला लीड संजीव कुमार ने बताया कि फाइलेरिया ग्रसित होने की पहचान संबंधित लोगों को पांच से दस साल बाद पता चलता है जब संबंधित व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया कीटाणु बहुत अधिक मात्रा में उपलब्ध हो जाता है। फिर ऐसे मरीजों को नियंत्रित रखने के लिए मेडिकल सहायता उपलब्ध कराई जाती है लेकिन उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित नहीं किया जा सकता। शरीर में शामिल माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु रात में ही एक्टिव अवस्था में रहता है। इस समय जांच करवाने से उनके शरीर में शामिल माइक्रो फाइलेरिया की पहचान हो सकती है। नाईट ब्लड सर्वे में जांच करवाने पर संबंधित व्यक्ति के शरीर में माइक्रो फाइलेरिया कीटाणु के उपलब्ध होने की जानकारी शुरुआत में ही हो जाती है जिसके बाद उन्हें तत्काल मेडिकल सहायता उपलब्ध कराते हुए फाइलेरिया से सुरक्षित किया जा सकता है। इसलिए जिले के चयनित प्रखंडों के चिन्हित सेंटिनल और रेंडम क्षेत्रों में नाईट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए सभी प्रखंड के दोनों (सेंटिनल और रेंडम) साइट से कम से कम 300-300 लोगों के ब्लड सैंपल लिया जा रहा है। इसकी पहचान के लिए सभी सेंटिनल और रेंडम क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को भाग लेकर उनके शरीर में शामिल माइक्रो फाइलेरिया के उपस्थित होने की जानकारी लेना चाहिए। ऐसा करने से संबंधित व्यक्ति फाइलेरिया ग्रसित होने से सुरक्षित रहेंगे।
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