ईद-उल-अज़हा का जश्न:
पूरी एहतराम से मनाई गई
सिटी रिपोर्टर : मधुबनी
17:06:2024
प्रत्येक साल के तर्ज पर इस बार भी बकरीद का त्योहार पूरे एहतराम के साथ मनाया गया।
शहर के एयरपोर्ट से सटे ईदगाह के मैदान में और शेखटोली मंगरौनी के अलावा शहर से लेकर गांव तक तमाम मस्जिदों में हजारों की तादाद में नमाज़ अदा की गई।
*ईद की नमाज़ और मुबारकबाद*
अहले सुबह से ही ईदगाह की तरफ लोगों का हुजूम देखा गया। लोग नए कपड़े पहनकर, खुशबूदार इत्र लगाकर और पूरे अदब के साथ नमाज़ अदा करने पहुंचे। ईदगाह में नमाज़ के बाद लोगों ने एक-दूसरे से गले मिलकर ईद-उल-अज़हा की मुबारकबाद पेश की।
*शहर की रौनक*
शहर के राम चौक, ईद मोहम्मद चौक, मोमिन टोला, शेख टोली, दर्जी मोहल्ला, उर्दू कॉलोनी और सप्ताह इलाके में रौनक का माहौल था। मिठाई की दुकानें, आइसक्रीम स्टॉल, चाट और पानी पूरी के ठेले, बिरयानी के स्टॉल्स पर लोगों की भीड़ लगी रही। हर कोई अपने परिवार और दोस्तों के साथ इन जायकों का लुत्फ उठा रहा था।
*घर का माहौल*
वहीं घरों में लोग सिवइयां, खस्सी की गोश्त, लस्सी और अन्य व्यंजनों का आनंद लिया जा रहा था।
*कुर्बानी का महत्व*
हाफिज मो.रिजवान ने अर्ज करते हुए कहा कि बकरीद का त्योहार कुर्बानी का त्योहार है। इस दिन हजरत इब्राहीम (अलैहि सलाम) की याद में बकरे की कुर्बानी दी जाती है।
कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है – एक हिस्सा खुद के लिए, एक हिस्सा रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए और एक हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों के लिए। यह समाज में बराबरी और भाईचारे का पैगाम देता है।
सानिया ,नाजिया , यशमीन,इकबाल बेनजीर, बिल्किस , प्रो,उदय प्रसाद ने कहा कि बकरीद का त्योहार हमें सामाजिक और धार्मिक समरसता का संदेश भी देता है। यह त्योहार हमें सिखाता है कि हमें अपने पड़ोसियों, गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए।
*त्योहार का आनंद*
बकरीद के दिन लोग घर-घर जाकर मुबारकबाद पेश किएऔर पकवानों का मजा लिए ।
फिर सेवइयां, खस्सी का गोश्त, बिरयानी, कबाब, और अन्य पारंपरिक व्यंजनों का लुत्फ उठाया ।
**बच्चों की खुशियां**
बच्चों नए कपड़े पहनकर, जेब खर्ची लेकर, बच्चों की टोली मिठाई की दुकानों और आइसक्रीम स्टॉल्स की तरफ दौड़ती रही । बच्चों के चेहरे की मुस्कान और उनकी खुशियां इस त्योहार को और भी खास बना दिया।
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