ज्वालामुखी पर्वत किलिमंजारो के शिखर पर सोनिका ने लहराया तिरंगा
रिपोर्ट : उदय कुमार झा
10:04:2024
मधुबनी : मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित एक छोटे से गाँव नावदाखेड़ी में किसान श्याम जाट एवं ममता के घर एक नन्हीं सी बेटी का जन्म 27 जुलाई, 2004 को हुआ । श्याम जाट की माँ और नवजात शिशु की दादी सम्पत जाट खुशी से फूली नहीं समा रही थी । आसपास के लोगों में मिठाइयाँ बाँटी गई । किन्तु, किसी को यह पता नहीं था कि यह नन्हीं सी जान बड़ी होकर पूरे इलाके का नाम रोशन करेगी । इस बच्ची का नाम रखा गया - "सोनिका जाट" ।
समय का पहिया घूमता गया और सोनिका बड़ी होने लगी । धीरे-धीरे उसने 10वीं की परीक्षा पास की और फिर श्री उमियाँ कन्या महाविद्यालय, इंदौर में उसका नामांकन करवाया गया । कॉलेज में नामांकन होते ही सोनिका एनसीसी कैडेटों को सैन्य शिक्षा लेती देखी । अब वह भी ठान ली कि एनसीसी में दाखिला लेकर वह आगे बढ़ेगी और देश का नाम रोशन करेगी । कॉलेज की एनसीसी की कम्पनी कमाण्डर कैप्टेन नम्रता सावंत से मिलकर वह 2021 ई.में 1st म.प्र. गर्ल्स एनसीसी बटालियन, इंदौर में एनसीसी जॉइन कर ली । कुछ ही दिनों बाद मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ एनसीसी निदेशालय की ओर से पर्वतारोहण के बेसिक कोर्स के लिए सोनिका जाट का चयन हुआ और वह पश्चिम बंगाल के हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, कुर्सियोंग, दार्जीलिंग के लिए इंदौर से निकल पड़ी । वहाँ से सफलतापूर्वक बेसिक ट्रेनिंग लेने के बाद एडवांस्ड ट्रेनिंग भी सोनिका ने ली । इस प्रशिक्षण के बाद सोनिका जाट का चयन 2023 ई.में उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित माउंट थेलू पर्वत शिखर पर पर्वतारोहण के लिए किया गया । मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ एनसीसी निदेशालय की इस कैडेट ने उत्तरकाशी स्थित माउंट थेलू की सीधी एवं दुर्गम चढ़ाई पर विजय प्राप्त कर अपने एनसीसी निदेशालय का नाम रोशन की और एडीजी मेजर जनरल ए.के.महाजन की नजरों में आ गई ।
अब एनसीसी महानिदेशालय, नई दिल्ली में एक कार्यक्रम बना जिसमें कैडेटों का चयन अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोहण के लिए होना था । मे. जन. महाजन को अपने कैडेट सोनिका पर बहुत भरोसा था । उन्होंने अपने स्तर से महानिदेशालय से माँग किया कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पर्वतारोहण के लिए मेरे पास वैकेंसी दी जाए । उनके प्रस्ताव को मानते हुए डीजी एनसीसी ने वैकेंसी उन्हें दी और सोनिका जाट का चयन अफ्रीका महादेश अंतर्गत सबसे ऊंची चोटी और विश्वविख्यात ज्वालामुखी पर्वत शिखर माउंट किलिमंजारो पर चढ़ने के लिए किया गया । वह भारत से अफ्रीका 10 मार्च, 2024 को चली गई । फिर अपने गाइड से मिलकर वहाँ की विशेष जानकारी प्राप्त कर निकल पड़ी अपनी मंज़िल की ओर । अफ्रीका में सोनिका को भोजन की बड़ी समस्या सामने आने लगी, क्योंकि वह शाकाहारी परिवार से है, जबकि अफ्रीका में ज्यादातर लोग मांसाहारी प्रवृत्ति के ही मिले । किलिमंजारो की चढ़ाई शुरू करने के 15 मिनट बाद कुछ ऊपर जाने पर सोनिका की नाक से रक्तस्राव होना शुरू हो गया । अब ऐसी परिस्थिति देखकर उसका गाइड डर गया और ऊपर चढ़ने से मना करने लगा । कुछ हद तक सोनिका भी डर गई । किन्तु, जब पानी का बोतल निकालने के लिए वह अपना बैग खोली, तो अंदर में साथ गया हिंदुस्तान का तिरंगा झंडा भी दिखा जो वह साथ ले गई थी । ऊपर चोटी पर पहुँचकर तिरंगा लहराने का जो सपना सोनिका देख चुकी थी, उसी सपने ने उसमें ऐसा जोश भरा कि वह मन को शान्त कर मन में दृढ़निश्चय कर गाइड के साथ ऊपर की चढ़ाई शुरू कर दी । नतीजा यह हुआ कि दुनिया की सबसे बड़ी ज्वालामुखी और अफ्रीका की सबसे ऊँची चोटी माउंट किलिमंजारो के शिखर पर सोनिका जाट ने 18 मार्च, 2024 की सुबह 06:30 बजे भारतीयों की शान तिरंगा झण्डा लहरा दिया ।
अफ्रीका से लौटने पर मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षामंत्री एवं मध्यप्रदेश&छत्तीसगढ़ एनसीसी निदेशालय के एडीजी मेजर जनरल ए.के.महाजन ने सोनिका जाट की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए सम्मानित किया ।
एक विशेष भेंटवार्ता में सोनिका बोली कि उसे अपने माता,पिता, दादी एवं कंपनी कमांडर कैप्टेन नम्रता सावंत से इतना प्रोत्साहन मिला कि वह आगे बढ़ती चली गई । जब वह दौड़ लगाने जाती है तो पिता बाइक से उसके साथ चलते रहते हैं और दौड़ में और ज्यादा बेहतर बनने का गुर सिखाते रहते हैं । 2024 ई.में वह एनसीसी "सी" सर्टिफिकेट की परीक्षा में बैठ चुकी है । एनसीसी में तो उसका सफर अब खत्म हो चुका है, लेकिन - Once A Cadet Always A Cadet - को चरितार्थ करते हुए वह सभी सातों महाद्वीपों की सर्वोच्च चोटियों पर चढ़कर भारतीय तिरंगा लहराना चाहती है । साथ ही, अपने कैरियर के रूप में भी वह पर्वतारोहण संस्थान में प्रशिक्षक बनकर अपनी आजीविका चलाना चाहती है । उसे उम्मीद है कि इस क्षेत्र में भी वह पूरे देश का नाम रोशन करेगी ।
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