ज्योतिषीय पूर्वानुमान से संभव है आपदा से बचाव एवं जान-माल की रक्षा - डाॅ0 राज नाथ झा
किया ज्योतिष अनुसंधान के लिए अपेक्षित सुविधा की माँग
पटना :7 अप्रैल 2024
एक अध्ययन के अनुसार भारतीय संस्कृत वांग्मय का 65 से 70 प्रतिशत योगदान देने वाले मनीषियों का स्थान रहा है बिहार l वेदांग के नेत्र रूप में महिमा मंडित ज्योतिष एवं खगोल विद्या के आचार्य आर्यभट्ट, वाराहमिहिर, ब्रह्म गुप्त, बल्लाल सेन जैसे ज्योतिष विद्या के विश्व गुरुओं ने प्राकृतिक आपदाओं का भौगोलिक एवं खगोलीय कारणों का प्रतिपादन किया है l लगभग एक दशक तक इन आचार्यों के मतों एवं सिद्धांतों का अध्ययन, अनुसंधान एवं निष्कर्ष के आधार पर वर्ष 2015 में प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप का पूर्वानुमान मेरे द्वारा किया गया, जो अनुमानित अवधि के बीच घटित हुई l पुनः 2016 में एक पत्रकार की जिज्ञासा पर प्राकृतिक आपदाओं में भूकंप का पूर्वानुमान किया जो अनुमानित समयावधि में घटित हुई l 3 अप्रैल को अफगानिस्तान में और 4 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश में आए भूकंप का पूर्वानुमान फेसबुक वाल पर किया था l इस प्रकार देखा गया है कि हमारे प्राचीन ऋषियों द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत आज भी उतने प्रासंगिक और सटीक है l इस सन्दर्भ में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में भूकंप के पूर्वानुमान विषय पर शोध पत्र सर्वप्रथम प्रस्तुत किया गया l फिर नैक टीम के समक्ष कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में विशेष व्याख्यान के तहत ज्योतिष में भूकंप पूर्वानुमान पर व्याख्यान का अवसर भी मिला l
इस सन्दर्भ में ज्योतिर्वेद विज्ञान संस्थान, चाणक्य प्लाजा,प्रथम तल, मुख्य मार्ग, कंकडबाग़ में आयोजित प्रेस वार्ता में उक्त आशय की जानकारी साझा करते हुए संस्थान के निदेशक राष्ट्र स्तर पर बिहार के यशस्वी युवा ज्योतिषी डाॅ0 राजनाथ झा ने कहा कि यदि इस आधार पर प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित तिथि और समय सहित पूर्वानुमान व्यक्त किया जाय तो समय सीमा के अंदर बचाव के उपाय संभव हो सकता है जिससे कम से कम जान माल की क्षति होगी l
ज्योतिषशास्त्र की इस लोक एवं राष्ट्र कल्याण की भावना से अपेक्षित अनुसंधान की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए मेरे द्वारा शिक्षा विभाग बिहार सरकार को वर्ष 2016 में और वर्ष 2019 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार को प्रस्ताव समर्पित किया गया l
सरकार से मेरा आग्रह होगा कि खगोल एवं ज्योतिष के विश्व गुरुओं के बिहार में ज्योतिष अनुसंधान की अपेक्षित सुविधा विकसित की जाय जिससे बिहार की गौरवशाली ज्योतिषीय एवं खगोल विद्या की समृद्ध विरासतों का पुनरूत्थान और विकास का मार्ग प्रशस्त होगा । वहीं
मौसम के ज्योतिषीय पूर्वानुमान का लाभ जनमानस, राज्य राष्ट्र और विश्व को मिलेगा l
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