विश्व यक्ष्मा (टीबी) दिवस : लोगों को बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए कर्मियों का दिलाई गई शपथ
- लोगों के जागरूकता से खत्म हो सकता है टीबी
- बैक्टीरिया से होने वाला गंभीर संक्रमण बीमारी है टीबी
- वर्ष 2025 तक देश से टीबी बीमारी को खत्म करने का रखा गया है लक्ष्य
- धूम्रपान, नशीली दवाओं का सेवन और कुपोषण है टीबी ग्रसित होने का कारण
मधुबनी : 24 मार्च
मधुबनी : यक्ष्मा (टीबी) एक गंभीर एवं संक्रमण बीमारी है। जिसका शिकार होने पर लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है। लोगों को यक्ष्मा (टीबी) के प्रति जागरूक करते हुए इससे सुरक्षित रखने के लिए हर साल 24 मार्च को विश्व यक्ष्मा (टीबी) दिवस मनाया जाता है। रविवार को विश्व यक्ष्मा दिवस पर संबंधित सभी कर्मियों को कार्यालय में शपथ दिलाई गई. इस दौरान उपस्थित लोगों को टीबी बीमारी के लक्षण, जांच, दवा, उपचार, फॉलोअप और टीबी मरीजों के सहयोग के लिए निक्षय मित्र बनने की जानकारी दी गई। इस वर्ष 2024 में विश्व यक्ष्मा दिवस का थीम - "हाँ! हम टीबी को खत्म कर सकते हैं।"रखा गया है. सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार भीमसारिया ने बताया लोगों के जागरूकता से टीबी का खात्मा किया जा सकता है 15 दिन तक लगातार खांसी होना टीबी के लक्षण हो सकते हैं ऐसे लक्षण दिखे तो छुपाना या डरना नहीं चाहिए. तुरंत स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर अपने बलगम की जांच करानी चाहिए. जांच बिल्कुल निशुल्क है. साथ ही टीबी का इलाज भी बिल्कुल निशुल्क होता है इलाज के दौरान पोषण के लिए मरीज को प्रतिमाह 500 दिए जाते हैं दवा पहुंचाने वाले डॉट प्रोवाइडर को मरीज के ठीक होने पर 1000 से 5000 तक प्रोत्साहन राशि दिया जाता है
बैक्टीरिया से होने वाला गंभीर संक्रमण बीमारी है टीबी :
सिविल सर्जन डॉक्टर नरेश कुमार भीमसारिया ने बताया टीबी एक माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टेरिया से होने वाला एक गंभीर संक्रमण रोग है। यह संक्रमण मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है लेकिन इसका बैक्टेरिया खून के रास्ते दूसरे अंगों तक पहुँचकर उसे भी प्रभावित करता है। फेफड़ों के साथ साथ यह बीमारी मस्तिष्क, लिवर, किडनी, हड्डियों के साथ साथ शरीर के अन्य भागों में हो सकता है। टीबी बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक खांसने और छींकने के कारण हवा के माध्यम से भी पहुँच सकता है। आज के समय में टीबी एक गंभीर संक्रमण बीमारी में से एक है जो आजकल लोगों के बदलती जीवनशैली, खानपान और बच्चों के घर में कैद व्यवहार के कारण बढ़ रहे हैं। सिविल सर्जन ने बताया है कि भारत स्वास्थ्य विभाग द्वारा वर्ष 2025 तक टीबी बीमारी को देश से खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को इसके लिए जागरूक करने और टीबी ग्रसित लोगों को स्वस्थ करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है।
धूम्रपान, नशीली दवाओं का सेवन और कुपोषण है टीबी ग्रसित होने का कारण :
धूम्रपान, नशीली दवाओं का सेवन, कुपोषण और मलिन बस्तियों में असुरक्षित रहने वाले लोगों को टीबी ग्रसित होने की समस्या अधिक होती है। ऐसे में टीबी के शुरुआती लक्षण दिखाई देते ही लोगों को नजदीकी अस्पताल में अपनी जांच करवानी चाहिए। समय पर जांच करते हुए ग्रसित होने पर नियमित इलाज कराने से लोग बहुत जल्द इस बीमारी से सुरक्षित हो सकते हैं।
निक्षय मित्र द्वारा किया जा रहा टीबी मरीजों को सहयोग :
टीबी ग्रसित लोगों को कुपोषित होने की संभावना ज्यादा होती है। ऐसे में कोई भी सक्षम व्यक्ति द्वारा निक्षय मित्र के रूप में ग्रसित मरीजों को गोद लेकर उन्हें सहायता प्रदान की जा सकती है। टीबी से संबंधित जानकारी किसी भी व्यक्ति द्वारा निक्षय हेल्पलाइन नंबर 1800-11-6666 से भी प्राप्त की जा सकती है।
टीबी होने पर पहचान के लक्षण :
-फेफड़ों में टीबी की पहचान
- दो सप्ताह से अधिक समय तक लगातार खांसी रहना।
- बलगम के साथ खून आना।
- वजन बहुत कम होना। रात में पसीना आना।
- एक दिन में दो बार या कई दिनों तक लगातार बुखार रहना।
- भूख नहीं लगना व हर समय थकान लगना।
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