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Monday, 26 February 2024

अयाची डीह पर स्थित स्वयंभू शिवलिंग "मंगल महेश" के मंदिर का हुआ शिलान्यास

 अयाची डीह स्थित स्वयंभू शिवलिंग "मंगल महेश" के मंदिर का हुआ शिलान्यास



रिपोर्ट : उदय कुमार झा

26:02:2024





सरिसब-पाही(मधुबनी) : सोमवार को पंडौल प्रखण्ड अंतर्गत सरिसब-पाही स्थित अयाची डीह पर विराजमान स्वयंभू शिवलिंग की आधारशिला मोहिनी देवी द्वारा रखी गई । साथ ही विद्वान पंडितों द्वारा भूमिपूजन की सारी प्रक्रिया पूरी की गई ।

   विदित हो कि 2017 ई.में अयाची डीह का भ्रमण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया था । उसके बाद से ही इस डीह के विकास की योजनाएँ बननी शुरू हुई । उसी क्रम में देखा गया कि महामहोपाध्याय पं.भवनाथ प्र.अयाची मिश्र के डीह पर पूर्वोत्तर कोने में बहुत ही छोटे जगह में अयाची मिश्र द्वारा पूजित और लगभग 500 वर्ष प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग खुले आकाश के नीचे विराजमान हैं । अयाची के वंशज और विद्वान शिक्षक स्व.जीवनाथ मिश्र ने इस बात की चर्चा स्व.डॉ. योगानन्द झा की धर्मपत्नी श्रीमती मोहिनी देवी के समक्ष की थी । मोहिनी देवी ने "मंगल महेश" के स्थान पर मन्दिर बनवाने की इच्छा प्रकट की । सोमवार को उन्हीं की इच्छा से मन्दिर का शिलान्यास कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ । 

अब सवाल यह कि कैसे हुई "मंगल महेश" स्वयम्भू शिवलिंग की उत्पत्ति ?  मिथिलांचल में प्रदोषकाल में पार्थिव शिवलिंग के पूजन की प्रथा रही है । महामहोपाध्याय भवनाथ मिश्र प्र.अयाची मिश्र प्रति दिन नियमपूर्वक पार्थिव शिवलिंग की पूजा करते थे । पार्थिव शिवलिंग का निर्माण प्रति दिन उनकी पत्नी करती थी । एक शाम उनकी पत्नी शिवलिंग बनाना भूल गई और अयाची मिश्र जब पूजा करने के लिए आसन पर बैठे तो दूसरे दिनों की भाँति ही शिव का आवाहन कर दिया, जबकि पार्थिव शिवलिंग वहाँ नहीं था । अचानक अयाची मिश्र को याद आया कि बिना पार्थिव शिवलिंग के ही केवल भूमि पर उन्होंने शिव का आवाहन अक्षत लेकर कर दिया था । उन्हें इसका पश्चाताप होता, तबतक साक्षात शिवलिंग भूमि पर प्रकट हो गया । अपने सामने भूमि पर शिवलिंग को प्रकट हुआ देख वे भावविभोर हो गए और फिर बहुत देर तक शिवपूजा में लीन रहे । इस प्रकार, इस स्वयंभू शिवलिंग का विशेष महत्त्व है।

    अयाची डीह पर मन्दिर निर्माण के लिए वातावरण तैयार करने में संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान डॉ. किशोरनाथ झा के साथ ही मदन झा, रामबहादुर चौधरी एवं अमल कुमार झा का विशेष योगदान रहा । मन्दिर शिलान्यास कार्यक्रम के समय श्रीमती मोहिनी देवी के साथ ही प्रो.अशर्फ़ी कामति, उदय कुमार झा, रामबहादुर चौधरी, अमल कुमार झा, डॉ. संजीव कुमार झा, राधाकान्त चौधरी, कमलेश मण्डल, सूर्यदीप कुमार, इंजीनियर भवेश झा, बादल कुमार सहित कई ग्रामीण एवं बुद्धिजीवी उपस्थित थे ।

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