46वाँ रक्तदान कर सुमित कुमार राउत ने दिया मानवता का संदेश
जयनगर/मधुबनी
पीड़ित मानव की सेवा के अनेक रूप हो सकता हैं। लेकिन जब बात रक्तदान की हो तो अन्न,वस्त्र,श्रम और आर्थिक दान उसके सामने तुच्छ हो जाते हैं।रक्तदान से सरोकार रखने वाले महादानी जाती,धर्म और संप्रदाय के साथ अमीर-गरीब का भेद नहीं जानते।क्योंकि समय पर किसका रक्त किसे चढ़ाया जा रहा हैं, यह कोई नहीं जानता। रक्त का कतरा-कतरा संजीवनी हैं। जब तक सांस तब तक आस को यह रेखांकित करता हैं।
हमारे संवाददाता को एक विशेष भेंट में माँ अन्नपूर्णा रक्त रक्षक,जयनगर,मधुबनी के सदस्य एवं पत्रकार सह समाजसेवी सुमित कुमार राउत ने कहा कि मैंने पिछले दिनों अपने जीवन में 45वीं बार रक्तदान किया। आज मधुबनी के समाजसेवी मुकेश कुमार पंजीयार के पिताजी, जो दरभंगा के एक निजी अस्पताल में जिंदगी की लड़ाई लड़ रहे हैँ, उनके के इलाज के क्रम में रक्त की आवश्यकता पड़ी। यह जानकारी जब मुझे उनके सुपुत्र सह समाजसेवी मुकेश पंजीयार के माध्यम से मिली, तो मैंने तुरंत उस पीड़ित परिवार से सम्पर्क कर मदद का पूरा भरोसा दिया। फिर मैंने स्वयं दरभंगा के शुक्ला मेडिसिटी ब्लड बैंक के ब्लड बैंक में जाकर उक्त मरीज के लिए अपने जीवन का 46वाँ रक्तदान किया। तत्पश्चात उस मरीज को और जरूरत होने पर और भी कुछ यूनिट प्लेटलेट्स एवं रक्त भी माँ अन्नपूर्णा रक्तरक्षक, जयनगर के डोनेशन कैंप के डोनर कार्ड के माध्यम से दिलवाने का आश्वासन दिया।
उन्होंने कहाँ कि मैं अपने जीवन में सन 2008 से लगातार रक्तदान करता रहा हूं। मैं चाहता हूं कि युवा पीढ़ी रक्तदान के लिए आगे आए और जरूरतमंद लोगों की मदद करे और पुण्य कमाएं।लोगों की जिंदगी बचाकर मुझे जो खुशी मिलती हैं, उसे मैं बयां नहीं कर सकता। आपके द्वारा किया गया रक्तदान किसी की जिंदगी बचा सकता हैं। एक बार आपके द्वारा किया हुआ रक्तदान तीन लोगों की जिंदगियों को बचा सकता हैं।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि रक्तदान के लिए धन या ताकत की जरूरत नहीं होती हैं।
रक्तदान महादान होता है, और अब धीरे-धीरे लोग इसका महत्व समझने लगे हैं, और रक्तदान के प्रति जागरूकता का माहौल भी देखने को मिल रहा है। फिर भी बहुत सारे लोग हैँ, जिनको अभी भी रक्तदान करने से डर लगता है, तो हमारा कर्तव्य है कि उन्हें जागरूक करें। यह भावना जन-जन तक पहुंचानी चाहिए कि रक्तदान महादान है, इससे लाखों लोगों की जिंदगी बच सकती है।
इस बाबत सुमित कुमार राउत ने बताया कि रक्तदान को लेकर जयनगर एवं आसपास के मरीजों को रक्त के आभाव में भटकते हुए देख माँ अन्नपूर्णा सेवा समिति के मुख्य संयोजक भाई समाजसेवी अमित कुमार राउत ने इस परेशानी से व्यथित होकर अपने संगठन एवं जयनगर के रक्तविरों के माध्यम से एकदिवसीय स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन अपने संस्था माँ अन्नपूर्णा रक्तरक्षक के बैनर तले लगाया, जिसमें जयनगर एवं आसपास के रक्तविरों एवं रक्तविरानगणाओं के मदद से सफल कैंप का आयोजन हुआ, जिसमें कुल 80-90के करीब रक्त संग्रहित किया गया। इस कैंप के बाद जयनगर और आसपास के किसी भी मरीज को जरूरत पड़ने पर निःशुल्क रक्त मुहैया कराया गया, जिससे उनकी जान बचायी गई। इसके बाद से अब तक माँ अन्नपूर्णा रक्तरक्षक, जयनगर लगभग 400 जिंदगीयों को बचाने का कार्य किया है, जो अब भी जारी है।
इस बाबत अमित कुमार राउत बताते हैँ कि माँ अन्नपूर्णा सेवा समिति के बैनर तले माँ अन्नपूर्णा रक्तरक्षक नाम से एक समूह बनाया गया है, जिसमें किसी को भी रक्तदान की जरूरत होने पर सम्पर्क कर सकता है। उसे समूह के सदस्य या जान पहचान वाले किसी व्यक्ति को जिस ग्रुप का रक्त की जरूरत होता है, उस ग्रुप का सदस्य रक्तदान करने के लिए स्वयं आगे आते हैं। अभी तक चार सौ लोगों को समूह के डोनर कार्ड के माध्यम से रक्त की मदद किया गया है। आगे भी समूह का यही उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोगों की जिदगी बचाया जाए। उन्होंने बताया कि हमारे क्षेत्र के अधिकांश मरीज दरभंगा जाते हैँ इलाज कराने को, इसलिए दरभंगा इस्तिथ शुक्ला मेडिसिटी ब्लड बैंक के चेयरमैन डॉ. मृदुल कुमार शुक्ला एवं डायरेक्टर मुकेश सिंह के सहयोग से रक्तदान शिविर का रक्त संग्रहित कर जरूरत पड़ने पर लोगों को रक्त मुहैया कराया जाता है, ऐसा करने से मरीज को एवं इनके परीजन को आसानी होती है।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है, जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं, और उसे बचाने के लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं। अनायास दुर्घटना या बीमारी का शिकार हममें से कोई भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षित व सभ्य समाज के नागरिक है, जो केवल अपनी नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी सोचते हैं, तो क्यों नहीं हम रक्तदान के पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें और लोगों को जीवनदान दें।
गौरतलब हैं कि इससे पहले वो कई बार रक्तदान शिविर भी आयोजित कर चुके हैं, साथ ही रक्तदान के क्षेत्र में इनका परिवार भी अछूता नही है। इनके परिवार के सदस्यों ने भी कई बार रक्तदान कर चुके हैं।
वहीं, मौके पर सुमित कुमार राउत ने बताया कि इससे पहले वे 45बार रक्तदान कर लोगों की जान बचा चुके हैं, साथ ही उन्होंने अपना शरीर भी मरणोपरांत देने की घोषणा कर चुके हैं।
आपको बता दें की कोरोना काल मे भी निर्भीक होकर दरभंगा, मधुबनी में जाकर इन्होंने जरूरतमंद मरीजों के लिए रक्तदान किया हुआ है।
रक्तदान को जीवनदान के बराबर माना गया हैं। रक्तदान करने से न सिर्फ आप दूसरों की जिंदगी बचाते हैं, बल्कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती हैं। रक्तदान करने से आपके सम्पूर्ण स्वास्थ्य का चेक अप हो जाता हैं, जिससे शरीर में होने वाली बीमारियों का खतरा पहले से आंका जा सकता हैं।
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