दिनांक 20-08-2023 को दूरदर्शी समाजशास्त्री, सफल सामाजिक उद्यमी एवं मानवाधिकार आन्दोलनी डॉ बिन्देश्वर पाठक की स्मृति में शोकसभा का आयोजन म. म गंगानाथ झा वाचनालय में आयोजित किया गया।सभा की अध्यक्षता डॉ प्रभानाथ मिश्र एवं मुख्य अतिथि डॉ ईन्द्रनाथ झा थे।कार्यक्रम में उपस्थित डॉ अजय मिश्र ने डॉ पाठक के विषय में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वे अपने कर्मों के बल पर महात्मा कहलाने के योग्य थे। वे एक ऐसे दिव्य पुरुष थे जिनका सम्पूर्ण जीवन लोक कल्याण के लिए समर्पित था। डॉ अशर्फी कामत ने कहा कि उनकी दूरदृष्टि से न सिर्फ मानवता का कल्याण हो सका अपितु असंख्य लोगों को इससे रोजगार भी उपलब्ध हुआ। डॉ संजीव कुमार झा ने कहा कि डॉ पाठक का जाना समाजशास्त्र परिवार का ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई अत्यन्त कठिन है। वह हमेशा अपने पास आऐ लोगों की मदद खुलकर करते थे। डॉ अनुराग मिश्र ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि बिन्देश्वर पाठक ने न सिर्फ शौचालय का व्यावसायिक मॉडल पेश किया, बल्कि सुनियोजित तरीके से उसे सामाजिक परिवर्तन से भी जोड़ा। वह असल 'क्रुसेडर' थे जिन्होंने अपने कर्म से सामाजिक न्याय को स्थापित किया। श्री रामबहादुर चौधरी ने कहा कि डॉ पाठक सरिसब परिसर के लिए सदैव
उदारमना रहे। हमेशा कुछ न कुछ देते ही रहे, उनके निधन से हमलोगों ने एक अभिभावक खोया है। श्री मनीष त्रिगुणायत ने कहा कि पाठक जी ऐक्सेल सोशियोलॉजी के ऐसे सिद्धहस्त विद्वान थे जिनका कद अपने कार्यों के कारण सीमा लाँघ गया है। श्री श्रुतिकर झा ने उनसे जुड़े संस्मरण को साझा करते हुए कहा कि प्रसिद्धि की ऊँचाई पर पहुँचने के बावजूद वो कितने जड़ों से जुड़े और सरल हृदय थे। अन्य विचार व्यक्त करने वालों में श्री नवीन झा, श्री विवेक झा, श्री सूर्यदीप साह, श्री विक्की मण्डल, श्री उदयनाथ झा, श्री दिलीप झा, श्री लड्डू चौधरी, श्री बादल आदि थे। कार्यक्रम का संचालन श्री अमल कुमार झा के द्वारा किया गया।
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