30 को भद्रा है इसलिए 31 अगस्त को ही मनाएँ रक्षाबन्धन - डा. राजनाथ झा
भारतीय सनातन धर्म परंपरा में रक्षा बन्धन का पर्व पौराणिक काल से प्रचलित है l पूर्वकाल में श्रावणी पूर्णिमा के दिन उपाकर्म, वेदों का अध्ययन आरम्भ होता है l इस परम्परा को निभाने के लिए शास्त्र निर्णय भी दिया गया है l इस आशय का निर्णय व्यक्त करते हुए ज्योतिर्वेद विज्ञान संस्थान के निदेशक यशस्वी ज्योतिषी डा. राजनाथ झा ने परम्परा अनुसार श्रावण पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल पूजा पूर्वक देवताओं को रक्षा सूत्र अर्पण करके ज्ञानी, गुणी या परिवार के श्रेष्ठ जनों से रक्षा सूत्र बंधवाया जाता है l रक्षा सूत्र बांधने का मंत्र है -
येन बद्धो बलि राजा दानवेद्रो महाबल: l
तेनत् वाम् प्रति बद् धनामि रक्षे माचल माचल ll
कालान्तर में यह परम्परा भाई बहन के स्नेह का पर्व भी बन गया l भाई के रक्षार्थ बहने भाई की कलाई में रक्षा बांधती है l इस वर्ष श्रावणी पूर्णिमा को होने वाला रक्षाबन्धन एवं उपाकर्म 31 अगस्त को होगा l
श्रावण पूर्णिमा 30 अगस्त को दिन में 10.19 बजे से आरम्भ होकर 31 अगस्त को प्रात: 7.53 बजे तक रहेगा l 30 अगस्त को सायंकाल तक भद्रा रहने के कारण उदया तिथि की पूर्णिमा में 31 अगस्त को प्रातःकाल रक्षाबंधन और उपाकर्म होगा l
भद्रा में शास्त्र द्वारा श्रावणी के कृत्य का निषेध करते हुए उक्ति है -
भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा l
श्रावणी नृपतिर्हन्ति ग्रामं दहति फाल्गुनी ll
अर्थात भद्रा में श्रावणी का कृत्य करने से राजा पर संकट आता है और होलिका जलाने से अग्निकांड होता है l
दूसरा तर्क यह है कि देवताओं का आवाहन पूजन और विसर्जन प्रात:काल में ही विहित है l रक्षाबंधन प्रात:कालीन कृत्य है I इसलिए 31 अगस्त को ही मनाएँ रक्षाबन्धन l
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