डॉ. शैलेश कुमार सिंह की पुस्तक "समग्र विकास : अवसर एवं चुनौतियां" का हुआ विमोचन
समग्र विकास के लिए शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना होगा :- प्रो. एच.के. सिंह
तकनीकी दक्षता के बिना समग्र विकास की कल्पना असंभव :- प्रो. अजीत कुमार सिंह
न्यूज़ डेस्क : मधुबनी
मधुबनी जिले के जयनगर स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा की अंगीभूत इकाई डी.बी. कॉलेज के युवा शिक्षाविद् डॉ. शैलेश कुमार सिंह की पुस्तक 'समग्र विकास : अवसर एवं चुनौतियां' का विमोचन महर्षि सूचना प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, लखनऊ के पूर्व कुलपति-सह-काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रो. एच.के. सिंह की अध्यक्षता में प्रो. बी.बी.एल. दास, प्रो. दिवाकर झा और प्रो. हरे कृष्ण सिंह के कर-कमलों से दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंधन संकाय के सभागार में किया गया।
उपरोक्त पुस्तक महाविद्यालय के युवा शिक्षाविद् डॉ. शैलेश कुमार सिंह, डॉ. स्मिता वर्मा (आई.सी.सी.एम.आर.टी., लखनऊ) एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन संकाय के निदेशक प्रो. अजीत कुमार सिंह के संयुक्त संपादन में रुद्र प्रकाशन, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया है।
पुस्तक विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि प्रो. एच.के. सिंह ने कहा कि समग्र विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना होगा, साथ ही महिलाओं को भी जागरूक होकर समान अवसर की प्राप्ति हेतु सतत प्रयास करना चाहिए।
गौरतलब है कि भारतवर्ष में महिलाओं के सम्मानजनक स्थिति की भव्य एवं गौरवशाली परंपरा रही है । फिर भी वर्तमान युग में उद्यमिता कौशल पर बल देना होगा, जिससे कि वे रोजगार में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले सके।
समारोह को संबोधित करते हुए वाणिज्य एवं व्यवसाय प्रशासन विभाग के निदेशक प्रो. अजीत कुमार सिंह ने समग्र विकास और कौशल विकास पर बल देते हुए कहा कि आधुनिक परिवेश में तकनीकी दक्षता के बिना समग्र विकास की कल्पना असंभव है। अतः वर्तमान दौर में भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए युवाओं को तकनीकी दक्षता से परिपूर्ण करना होगा।
डॉ. शैलेश कुमार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि प्रस्तुत पुस्तक में समग्र विकास के अवसर एवं चुनौतियों का उल्लेख किया गया है जिसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थी एवं शिक्षाविदों के मौलिक शोध आलेख प्रकाशित है। तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत में समग्र विकास के अवसर के साथ साथ चुनौतियां भी हैं।
इस दौरान मुख्य रूप से प्रो. एच.के. सिंह, प्रो. अजीत कुमार सिंह, प्रो. बी.बी.एल. दास, प्रो. दिवाकर झा, प्रो. हरे कृष्णा सिंह, डॉ. एस.के. सिंह, डॉ. संजय झा, डॉ. निर्मला कुशवाहा, श्याम कृष्ण, डॉ. जमील हसन अंसारी, डॉ. जयशंकर सिंह, डिंपल सारस्वत, कलीमुद्दीन अंसारी, बब्लू कुमार सहित दर्जनों शिक्षाविद् और छात्र एवं छात्राएं उपास्थित थे।
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