“प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के गुमनाम योद्धा :जुल्फिकार अली” विषय पर काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान में पटना में व्याख्यान का हुआ आयोजन
ज़रूरत है 1857 के सभी गुमनाम योद्धाओं को सामने लाने की
पटना :16 जुलाई2023
काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान, बिहार सरकार, पटना संग्रहालय के शोध सदस्य कक्ष में आज (16 जुलाई 2023 “प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के गुमनाम योद्धा : जुल्फिकार अली” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी एवं पीआईबी, पटना के उपनिदेशक संजय कुमार ने व्याख्यान दिया। व्याख्यान की अध्यक्षता पटना विश्वविध्यालय पटना के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ). सुमन्त नियोगी की, जबकि मौके पर काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान की निदेशक कुमारी ललिता, सहायक निदेशक संजीव कुमार सिन्हा,शोधकर्ता एल.पी. पटेल,बीड़ीकॉलेज की प्रो.सुनीता शर्मा, संस्थान की पूर्व निदेशक डॉ अतिया बेगम सहित कई गण्यमान्य लोग मौजूद रहे।
व्याख्यानकर्ता संजय कुमार ने अपने शोध “प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के गुमनाम योद्धा : जुल्फिकार अली” पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि जुल्फिकार अली इतिहास के पन्नों में गुम एक योद्धा हैं। जो प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक योद्धा बाबू कुंवर सिंह के विश्वास पात्र सहयोगियों में से एक थे। उन्होंने बताया कि जुल्फिकार अली ने बाबू कुंवर सिंह के आदेश पर सेनापति का कार्यभार संभाला था । जुल्फिकार अली कूटनीति के माहिर व्यक्ति थे। जिन्होंने देशभक्त वीरों की टुकड़ी तैयार कर खुफिया विभाग बनाया था और उसका संचालन किया था। इसलिए बाबू कुंवर सिंह उनका सम्मान करते थे। दिल्ली प्रस्थान करते समय रास्ते में अंग्रेजों के साथ सैनिक झड़प में जुल्फिकार अली की मौत हो गयी थी। मौत के बाद उनका शव नहीं मिला था। इसलिए शहादत की सही तारीख नहीं मिलती है। नगवां (काको) ग्राम के काजी जुल्फिकार अली ने नगवां गाँव में जहानाबादी रेजिमेंट का गठन किया जो मेरठ,गाजीपुर,बलिया आदि जगहों पर छापामार युद्ध कर के अंग्रेजों को खूब छकाया था।
व्याख्यानकर्ता संजय कुमार ने बताया कि गुमनाम योद्धा जुल्फिकार अली के नाम प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के महानायक बाबू कुंवर सिंह द्वारा कैथी लिपि मेँ तीन पत्र जसवंत सिंह से लिखवायी थीं, जो अपने आप में इतिहास है। पत्र गवाह है कि जुल्फिकार अली आजादी के दीवाने और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा लेने वाले सैनिक थे। श्री कुमार ने बताया कि जुल्फिकर अली के वंशज बल्ख रूस से आये थे। आज भी जुल्फिकर अली के वंशज काजी अनवर अहमद जीवित है। लेकिन दुर्भाग्य कि गुमनाम योद्धाओं को भुला दिया गया है।
मौके पर व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए पटना विश्वविध्यालय पटना के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.(डॉ). सुमन्त नियोगी ने कहा कि आज ज़रूरत है 1857 क्रांति के गुमनाम योद्धाओं को खोज खोज कर सामने लाया जायेवही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि संजय कुमार ने ज़ुल्फ़िकार अली का जिस तरह से परिचय कराया है वह प्रेणादायक है।
वहीँ, काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान की निदेशक कुमारी ललिता ने कहा कि 1857 का ज़िक्र आते ही कुंवर सिंह ज़ेहन में आते हैं और आज उनके सहयोगी गुमनाम योद्धा ज़ुल्फ़िकार अली की जानकारी का मिलना अद्भुत है।
मौक़े पर ज़ुल्फ़िकार अली के वंशज काजी अनवर अहमद ने कहा कि देश के लोगों की ज़िम्मेदारी है कि देश की आज़ादी के लिये शहीद होने वालों योद्धाओं को सामने लाना होगा।
इस अवसर पर काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ अतिया बेगम ने कहा कि 1857 के दौर में कई गुमनाम योद्धा है लेकिन फ़ारसी में उनकी चर्चा तो मिल जाती है लेकिन हिन्दी या अंग्रेज़ी में कम ही मिलते हैं। जबकि बीडी कॉलेज की प्रो सुनीता शर्मा ने कहा कि संजय कुमार ने ज़ुल्फ़िकार अली के अनछुए पक्षों को सामने लाया है।इतिहास लेखन में यह प्रेणादायक साबित होगा।
“प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के गुमनाम योद्धा :जुल्फिकार अली” विषय पर काशी प्रसाद जायसवाल शोध संस्थान में पटना में आयोजित व्याख्यान में शोधकर्ता लक्षपति प्रसाद पटेल,प्रो.किरण कुमारी सहित अन्य गण्यमान्य लोग मौजूद थे ।
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