न्यूज़ डेस्क : मधुबनी
बिहार पुलिस द्वारा तथा कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फ़ाउंडेशन और बचपन बचाओ के सहयोग से एक दिवसीय पुलिस प्रशिक्षण का आयोजन
बिहार पुलिस द्वारा तथा कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फ़ाउंडेशन और बचपन बचाओ के सहयोग से मधुबनी में पुलिस अधिकारियों तथा बच्चों के लिए काम करने वाले अन्य हितधारकों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। डीआरडीए सभागार में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन मधुबनी पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार, प्रभाकर तिवारी, बाल कल्याण समिति, मधुबनी के अध्यक्ष बिन्दु भूषण, सुपौल पुलिस उपाधीक्षक सह नोडल विशेष किशोर पुलिस इकाई अजय कुमार, श्रम विभाग मधुबनी, सुपौल तथा सर्वोपरि संस्थान की सचिव निर्मला एवं अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं के सदस्य, मधुबनी और सुपौल के थाना प्रभारी तथा प्रशिक्षक डॉ कविता सुरभि, सुनील कुमार झा के द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया गया | प्रतिभागियों के रजिस्ट्रेशन के बाद मुख्य अतिथि पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार ने उपस्थित बाल हितधारक प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुये कहा, “यह प्रशिक्षण इसलिए जरूरी है, क्योंकि यहाँ बाल संरक्षण के सदस्य तो हैं, लेकिन उनमें जागरूकता की कमी है और सीमांचल का यह इलाका बाल दुर्व्यापार का प्रमुख स्रोत क्षेत्र रहा है| पुलिस विभाग में ट्रेफिकिंग और किशोर न्याय अधिनियम एवं पोक्सो के कानूनी प्रावधानों को लेकर जमीनी स्तर पर बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है| कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फ़ाउंडेशन की डॉ. कविता सुरभि ने संगठन के ऐतिहासिक बिन्दुओं पर चर्चा करते हुये प्रशिक्षण के उद्देश्य के बारे में बताया और कहा कि बच्चों से संबंधित क़ानूनों की जानकारी इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में दी जाएगी और मानव दुर्व्यापार के मुद्दे को लेकर जिला और थाना स्तर पर पुलिस अधिकारी तथा अन्य हितधारक जिन समस्याओं से जूझते हैं, उनके समाधान पर चर्चा की जाएगी| बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष ने पुलिस अधिकारियों और बाल संरक्षण पर काम करने वाले अन्य हितधारकों को बच्चों की सुरक्षा के साथ साथ सही देखभाल को लेकर भी सजग रहने की सलाह दी। प्रशिक्षण के दौरान बातचीत के दौरान उन्होंने बिहार एवं देश में बच्चों के साथ घटी घटनाओं एवं पुलिस द्वारा उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुए इसका अनुसरण करने पर जोर दिया गया। डॉ. कविता सुरभि ने कहा कि कई बार बच्चों के साथ अमानवीय घटनाएं घटित होती हैं, लेकिन डर के चलते बच्चे अपने परिजनों को उसके बारे में बताते नहीं हैं जिसके चलते आरोपी बच निकलते हैं| उन्होंने कहा कि आरोपियों को कड़ी सज़ा मिले, इसके लिए पुलिस अधिकारी को पीड़ित के बयान पर सुसंगत धारा लगाकर मामले को मजबूत करना चाहिए, जिससे आरोपी को कड़ी से कड़ी सज़ा मिल सके | बच्चों की सुरक्षा से संबन्धित कानूनी प्रावधानों की बात करते हुये अधिकारियों को जागरूक करते हुये उन्होने कहा, पीड़ित बच्चों को न्याय मिले, इसलिए पुलिस और हितधारकों का
संवेदनशील होना बहुत जरूरी है| पीड़ित के दर्द को समझना होगा और इसीलिए एफआईआर दर्ज करते समय विशेष सावधानियां बरती जाएं। घटना से जुड़े सभी पहलुओं का समावेश होना चाहिए। साक्ष्य संकलन में किसी तरह की चूक न होने पाए; ताकि अपराधी को सजा दिलाई जा सके। प्रशिक्षक सुनील कुमार झा ने मानव व्यापार के बारे में बताते हुये न सिर्फ धारा 370 को परिभाषित किया गया, बल्कि 370 में दिये गए दंड की चर्चा करते हुये यह भी बताया गया कि मानव व्यापार का अपराध करने वाले अपराधी को उन सब धाराओं के तहत भी दंडित किया जाना चाहिए, जो दुर्व्यापार की पूरी प्रक्रिया के दौरान बच्चे के साथ किए गए| ये सब धाराएँ लगाकर मामले को मजबूत कर समय पर कोर्ट में चार्जशीट दायर करना चाहिए| पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय प्रभाकर तिवारी ने सभी उपस्थित गणमान्य जनों, अतिथियों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापन किया | इस अवसर पर मुकुन्द, अब्दुल, सनी की भी उपस्थिति रही|
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