न्यूज़ डेस्क : मधुबनी
यदुनाथ सार्वजनिक पुस्तकालय फिर एक सांस्कृतिक एवं सामाजिक धरोहर का गवाह बना । यहाँ मिथिला में शारीरिक व्यायाम एवं सामाजिक सौहार्द्र का परिचायक “कुश्ती” के भूले बिसरे पलों को जीवंत किया गया। अवसर था पुस्तकालय द्वारा आयोजित “कुश्ती एवं गाँव के पहलवान” पर परिचर्चा सह “पहलवान सम्मान समारोह।”
परिसर के दशाधिक गाँव के ४१ पहलवानों ने अपने स्मृति एवं पुराने दिनों को याद करके मानो सारी घटनाओं को जीवंत कर दिया।
“लग रहा है जैसे मेरा पुनर्ज़न्म हो गया है…..मैंने अपने जीवन के इस मोड़ पर ऐसे सम्मान की आशा नहीं की थी ….” एक वरिष्ठ पहलवान के इन शब्दों ने पूरे कार्यक्रम को सफल कर दिया।
९७ वर्ष के एक पहलवान ने जब कहा कि यहाँ बैठे सारे लोग उनके चेले-चपाटी हैं तो पूरा दर्शक एवं पहलवान दीर्घा ठहाकों से भर गया। चोरों के पीछा करने के क़िस्से, विभिन्न गाँव में लड़े जाने वाले कुश्ती, इनाम एवं अन्य कई क़िस्से पहलवानों ने सुनाकर सबों को बांधे रखा।
१५/०४/२०२३ई० को मिथिला के प्रसिद्ध जूडशीतल पर्व के अवसर पर पुस्तकालय प्रांगण में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।
यदुनाथ सार्वजनिक पुस्तकालय के अध्यक्ष, सचिव, कोषाध्यक्ष एवं वरिष्ठ सदस्य द्वारा सभी पहलवान को सम्मानित किया गया। पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ असर्फी कामति द्वारा सबों का स्वागत किया गया। मंच संचालन श्री अमल कुमार झा द्वारा किया गया।
पुस्तकालयक सदस्य एवं दर्शक दीर्घा से अनेक प्रश्नों का उत्तर सम्मानित पहलवानों ने दिया।
ये अपने तरह का पहला एवं सफल आयोजन था। इसे अन्य वर्षों में करने का सभी पहलवानों एवं लोगों ने पुस्तकालय से आग्रह किया।
पुस्तकालय के सचिव श्री उदय नाथ मिश्र ने उपस्थित सभी सम्मानित पहलवान, पुस्तकालय के सदस्य एवं काफ़ी संख्या में उपस्थित दर्शकों का आभार व्यक्त किया एवं सफल कार्यक्रम हेतु सबों को धन्यवाद ज्ञापित किया ।
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