कल्याणेश्वर स्थान पहुंचा भगवान का डोला : परिक्रमा यात्री भगवान का डोला ले आज पहुचेंगे गिरिजा स्थान
न्यूज़ डेस्क : मधुबनी
मिथिलांचल की प्रसिद्ध पंद्रह दिवसीय मध्यमा परिक्रमा यात्रा विधिवत शुरू हो गयी है। परिक्रमा यात्रा नेपाल के कचुरी धाम से शुरू होकर जनकपुर के रास्ते भगवान मिथिला बिहारी एवं किशोरी जी की डोली गाजेबाजे एवं सीताराम के जयघोष के साथ मंगलवार को हरलाखी के हरिने गांव में प्रवेश किया। डोला के पीछे भजन कीर्तन करते हजारों की संख्या में साधु संत चल रहे थे। भगवान का डोला जैसे ही भारतीय सीमा में प्रवेश किया, भक्तों ने पुष्पवर्षा कर भगवान का भव्य स्वागत किया। हरिने गांव के बाद पोतगाह में कुछ देर के लिए रखा गया । उसके बाद शाम करीब चार बजे भगवान का डोला कल्याणेश्वर स्थान पहुंची, जहां मंदिर के पुजारी एवं कमिटी के नेतृत्व में समस्त ग्रामीणों ने परिक्रमा में शामिल सभी साधु महात्माओं को स्वागत किया। फिर लोगों ने भगवान मिथिला बिहारी एवं किशोरी जी के डोला का दर्शन एवं पूजा अर्चना की। परिक्रमा भ्रमण में शामिल सभी साधु, संतों ने तंबू डालकर वहीं रात्रि विश्राम किया। विश्राम स्थल पर जगह जगह रामलीला तथा भजन कीर्तन सहित भगवान की झांकी चलती रही। ग्रामीणों द्वारा ठहरने,खाने पीने आदि सभी सुविधाओं को मुहैया कराया गया। रात्रि विश्राम के बाद परिक्रमा यात्री भगवान का डोला लेकर गुरुवार को गिरिजा स्थान पहुंचेगी।
सुरक्षा का रहा पुख्ता इंतजाम :
सीओ सौरभ कुमार एवं थानाध्यक्ष अनोज कुमार के नेतृत्व में परिक्रमा स्थल पर सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम देखा गया। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल को तैनात किया गया था। महिला पुलिस को भी ड्यूटी पर तैनात किया गया था। भीड़ को काबू करने में पुलिस के सहयोग में ग्रामीण भी यात्रियों के सहयोग में जुटे रहे।
पंद्रह दिनों में पंद्रह देव स्थलों का होता है दर्शन :
84 कोसी मध्यमा परिक्रमा यात्रा में शामिल यात्री एवं साधु संत मिथिला क्षेत्र से जुड़े भारत-नेपाल के प्रसिद्ध पंद्रह देव स्थलों का पंद्रह दिनों में करीब डेढ़ सौ किलोमीटर का पैदल भ्रमण करते हैं। सभी पड़ाव पर स्थानीय लोगों के द्वारा स्वागत किया जाता है। विशौल गांव स्थित विश्वामित्र आश्रम के महंत ब्रज मोहन दास बताते हैं कि परिक्रमा यात्रा सदियों से चली आ रही है। सभी देव स्थलों से पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। प्रत्येक मनुष्य को जीवन में कम से कम एक बार इस परिक्रमा यात्रा में शामिल जरूर होना चाहिए। इससे मन की शांति एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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