बिहार सरकार के निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य विभाग द्वारा गठित मेडिकल टीम के द्वारा प्रखंड क्षेत्र में संचालित नर्सिंग होम एवं निजी अस्पतालों की जांच की गई।
गठित टीम में उप स्वास्थ्य केंद्र गंगौर के प्रभारी डा. गणेश शंकर विद्यार्थी, स्वास्थ्यकर्मी उपेंद्र मंडल एवं सीसीएच योगेंद्र पासवान समेत अन्य कर्मी कई अस्पतालों की जांच की।
जांच के क्रम में कलना स्थित गायत्री हॉस्पिटल पहुंचकर पंजीयन समेत अन्य जांच की गई जहां चिकित्सक ने कागजात उपलब्ध कराया। जांच के लिए टीम ने कागजात को आगे भेज दिया।
इसके बाद उमगांव बाजार चौक स्थित मां भगवती क्लिनिक पहुंचे जहां पहले से ही चिकित्सक क्लिनिक बंद करके गायब थे। इसी तरह एसके इमरजेंसी पहुंचे जहां चिकित्सक मौजूद नही थे, लेकिन कंपाउंडर द्वारा ओपीडी का संचालन किया जा रहा था जिसे टीम ने बंद करने का आदेश दिया है।
साथ ही निर्मल दंत चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के समय अस्पताल खाली था। अस्पताल प्रबंधक को दो दिनों के भीतर संबंधित कागजात उपलब्ध कराने को कहा। इसी तरह बैंक चौक एवं हरलाखी में एसएन मेमोरियल हेल्थ केयर सेंटर समेत संचालित अन्य क्लिनिक की जांच किया गया और दो दिनों के भीतर कागजात उपलब्ध कराने को कहा गया है।
वही इस जांच पर मिथिला स्टूडेंट यूनियन के राघवेंद्र रमण ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांच के नाम पर महज खानापूरी की गई है। हरलाखी में दर्जनों बड़े बड़े अवैध नर्सिंग होम का संचालन किया जा रहा है। लेकिन टीम द्वारा महज एक दो और छोटे छोटे अस्पतालों का निरीक्षण किया गया है जिससे साफ जाहिर होता है कि इनकी मिलीभगत से ही अवैध नर्सिंग होम संचालित होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि जांच अभियान में गठित टीम में ऐसे कर्मी को लगाया गया है, जो खुद अपने ड्यूटी से गायब रहते हैं। प्रमुख के निरीक्षण के दौरान गंगौर अस्पताल से ये लोग गायब थे जिस पर स्पष्टीकरण भी पूछा गया है। बावजूद विभाग ऐसे कर्मियों को महत्वपूर्ण कार्य में लगाया जाता है। इसलिए विभाग को अपने स्तर से बाहरी टीम के द्वारा जांच करानी चाहिए।
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