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Sunday, 25 December 2022

दरभंगा रंग महोत्सव में "कड़वा सच" एवं "मैं नास्तिक" की बेहतरीन प्रस्तुति

 *कड़वा सच और मैं नास्तिक दो बेहतरीन प्रस्तुति से "दरभंगा रंग महोत्सव"  का दूसरा दिन गुलजार रहा*


न्यूज़ डेस्क : मधुबनी




 दरभंगा के मैथिली साहित्य परिषद के दिग्गी पश्चिम में चल रहे तीन दिवसीय नाट्य महोत्सव में कई बेहतरीन प्रस्तुति हुई । अतिथि के रूप में कार्यक्रम में ऋषिकेश कुमार (MPSD/NSD Tie) , नारायण जी चौधरी( मैथिली साहित्य परिषद कार्यकर्ता) ,अमिताभ बच्चन (पत्रकार ) उपस्थित रहे।कार्यक्रम की शुरुआत सुमन कुमार सिंह एंड टीम की तरफ से लोकगीत की प्रस्तुति की गई । प्रस्तुति में सिंगर, सुमन कुमार सिंह, सिद्धार्थ कुमार, सुमन कुमार मंडल और उनके साथ संगत कलाकार के रूप में, अनीश झा, आशीष कुमार, सूरज कुमार, परमवीर प्रताप सिंह, साथ ही डांस अड्डा टीम की तरफ से नृत्य कजरी की प्रस्तुति की गई, जिसके निर्देशक प्रेम सिंघानिया थे, ग्रुप में कजरी नृत्य में मंच पर प्रिया भास्कर, अंजू कुमारी, पिंकी कुमारी,  सौम्या कुमारी, रश्मी कुमारी ने शानदार प्रस्तुति दी । नृत्य के बाद नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति किलकारी, दरभंगा की तरफ से की गई । नाटक के लेखक एवं निर्देशक अमर जी राय थे । नाटक में नीलेश, हर्षित, मनीष, साहिल,मानस, हर्ष, कुणाल ने बेहतरीन प्रस्तुति दी।

 "दरभंगा रंग महोत्सव" में दो नाटकों की प्रस्तुति हुई ।अभिनव थिएटर, असम की तरफ से नाटक कड़वा सच की प्रस्तुति की गई जिसका निर्देशन दयाल कृष्णा नाथ(इंडियन फिल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य, एवं कला एवं संस्कृति विभाग के सदस्य) ने किया।कड़वा सच एक लोक कलाकार के जीवन का वह सच है जिसे आम दर्शक न तो देख पाते हैं और न समझ पाते हैं। कड़वा सच नाटक में एक लोक कलाकार के जीवन के संघर्ष को बड़ी खूबसूरती के साथ उकेरा गया है। नाटक में कलाकार के इस हालत के जिम्मेदार समाज को उसकी जिम्मेवारी याद दिलाई गई। रोसे की भूमिका में रवि रंजन, ज्योति की भूमिका में निकिता कुमारी, विमान की भूमिका में रवि वर्मा, रोहित वर्मा, अंजारूल हक, मनोज कुमार, पूरबी रंजन ने दर्शकों को झकझोर कर रख दिया। महोत्सव की दूसरी प्रस्तुति मैं नास्तिक हूं लेखक एवं निर्देशक मृत्युंजय शर्मा प्रस्तुति रंगमंच पटना की थी। नाटक का कथावस्तु भगत सिंह के जीवन पर केंद्रित है ।भगत सिंह के नास्तिकता के तर्क को यह नाटक बखूबी मंच पर व्यक्त करती है और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भारत के ब्रिटिश उपनिवेश होने की पड़ताल भी यह नाटक करती है भगत सिंह जेल में लिंग को पढ़ रहे थे, तभी उन्हें सूचना मिलती है कि आज उन्हें फांसी होनी है और चतर सिंह उनसे पूजा करने और गुरु ग्रंथ साहिब गुटका पढ़ने को कहता है। भगत सिंह अंतिम फलों को अपने जन्म से लेकर अब तक की घटनाओं को सिलसिलेवार ढंग से याद करते हैं जिसने उन्हें नास्तिक बनाया। उनकी समस्त क्रांतिकारी गतिविधियों से यह नाटक दर्शकों को परिचित करवाता है और भगत सिंह के चिंतनशील और नेत्तृत्त्वकर्त्ता की छवि को उजागर करता है। एकल अभिनय कौशिक कुमार के द्वारा प्रस्तुत की गई संगीत संयोजन जीशान सबीर, प्रकाश परिकल्पना विकी राजवीर के द्वारा किया गया। महोत्सव को सफल बनाने में कलर व्हील संस्था के सचिव सह कार्यशाला निर्देशक श्याम कुमार सहनी(NSD)  और सदस्य विक्रम ठाकुर,  ऋषभ कुमार , नीतीश कुमार, निकिता कुमारी, रोहित वर्मा,  रवि वर्मा, रौशन कुमार, विशाल कुमार, आदित्य कुमार, राजेश शर्मा, मोहम्मद असलम, गौरी ने पूरा कार्यक्रम बखूबी सम्भाला।

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