माँ अन्नपूर्णा रक्तरक्षक,जयनगर के संस्थापक, पत्रकार सह समाजसेवी सुमित कुमार राउत ने किया 43वाँ रक्तदान : शरीर दान करने का भी लिया संकल्प : लोगों के लिए बने प्रेरणास्रोत
न्यूज़ डेस्क : मधुबनी
मधुबनी जिले के जयनगर निवासी सुमित कुमार राउत ने बीते 7 दिसंबर को अपने जन्मदिवस के शुभ अवसर पर 43वीं बार रक्तदान किया। ऐसा करके वे लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत बन चुके हैं। इससे पहले वह 42बार अपने जीवन में रक्तदान कर चुके हैं।
इस बार जिले के बासोपट्टी निवासी एक साथी पत्रकार की चाची को कैंसर के इलाज के क्रम में रक्त की आवश्यकता पड़ी। यह जानकारी ज़ब सुमित कुमार राउत को किसी माध्यम से मिली, तो तुरंत उन्होने पीड़ित परिवार से सम्पर्क कर उनको मदद का भरोसा दिया। उन्होंने खुद ही दरभंगा के शुक्ला ब्लड बैंक में जाकर उक्त मरीज के लिए अपना रक्तदान कर उनको रक्त दिलवाया। तत्पश्चात इसी मरीज को और जरुरत होने पर छः यूनिट प्लेटलेट्स एवं दो यूनिट रक्त भी डोनर कार्ड के माध्यम से दिलवाया।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि रक्तदान के लिए धन या ताकत की जरूरत नहीं होती है।
रक्तदान महादान होता है । धीरे-धीरे लोग इसका महत्त्व समझने लगे हैं और रक्तदान के प्रति जागरूकता का माहौल भी देखने को मिल रहा है। फिर भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं जिन्हें अभी रक्तदान करने से डर लगता है, तो हमारा कर्तव्य है कि उन्हें जागरूक करें। यह भावना जन-जन तक पहुंचानी चाहिए कि रक्तदान महादान है। इससे लाखों लोगों की ज़िन्दगी बच सकती है। सुमित कुमार राउत ने बताया कि रक्तदान को लेकर माँ अन्नपूर्णा सेवा समिति के बैनर तले 'माँ अन्नपूर्णा रक्तरक्षक' नाम से एक समूह बनाया गया है, जिसमें किसी को भी रक्तदान की जरूरत होने पर सम्पर्क कर रक्त की आपूर्त्ति कराई जा सकती है। उसे समूह के सदस्य या जनपहचान वाले किसी व्यक्ति को जिस ग्रुप के रक्त की जरूरत होती है, उस ग्रुप का सदस्य रक्तदान करने के लिए स्वयं आगे आते हैं। अभी तक सैकड़ों लोगों को समूह के डोनर कार्ड के माध्यम से रक्त की मदद की गई है। आगे भी समूह का यही उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोगों की ज़िन्दगी बचाई जाए।
इस मौके पर उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा किया गया रक्तदान कई जिंदगियों को बचाता है। इस बात का अहसास हमें तब होता है, जब हमारा कोई अपना खून के लिए जिंदगी और मौत के बीच जूझता है। उस वक्त हम नींद से जागते हैं और उसे बचाने के लिए खून के इंतजाम की जद्दोजहद करते हैं। अनायास दुर्घटना या बीमारी का शिकार हममें से कोई भी हो सकता है। आज हम सभी शिक्षित एवं सभ्य समाज के नागरिक है, जो केवल अपनी नहीं बल्कि दूसरों की भलाई के लिए भी सोचते हैं ; तो क्यों नहीं हम रक्तदान के पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें और लोगों को जीवनदान दें।
विदित हो कि इससे पहले वह कई बार रक्तदान शिविर भी आयोजित कर चुके हैं । साथ ही रक्तदान के क्षेत्र में इनका परिवार भी अछूता नहीं है। इनके परिवार के सदस्यों ने भी कई बार रक्तदान किया है ।
आपको बता दें कि इससे पहले 42 बार रक्तदान कर लोगों की जान बचा चुके हैं, साथ ही वे अपना शरीर भी मरणोपरांत दान देने की घोषणा कर चुके हैं। विदित हो कि कोरोना काल मे भी निर्भीक होकर दरभंगा, मधुबनी में जाकर इन्होंने जरूरतमंद मरीजों के लिए रक्तदान किया है।
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