काम नहीं मिला तो उदास होकर घर लौटे
मधुबनी संवाददाता
02:11:2022
काम की तलाश में बसुआरा गांव के सदाय समुदाय के असंगठित बंधुआ मजदूर 20 किलोमीटर पैदल चलकर शहर स्थित पुलिस लाइन से सटे काली मंदिर परिसर में अहले सुबह पहुंचकर, आशा भरी उम्मीद लिए ठेकेदार के आने का इंतजार करते -करते साढ़े- दस बज चुके थे | बहुत देर तक तो खाली भार लिए हुए मजदूर खड़े होकर इंतजार किए, लिहाजा कई घंटे खड़े होने के बाद उनके पांव भी थक
चुके थे | मसलन, उनलोगों ने भार को कंधे पर से उतारा और जमीन पर बैठकर पेड़ की छांव में सुस्ताने लगे |
कुछ मजदूर ऐसे भी हैं, जो अपने गांव नहीं लौटना चाहते | बिना काम किए खाली हाथ बगैर पैसे कमाए घर लौटना अब उनके किस्मत में थी |
बसुआरा के रहने वाले 45 वर्षीय रामचंद्र सदाय ने कहा कि हम लोग कुल 12 मजदूर अपने घरों से काफी उम्मीद लेकर चले थे कि आज ठेकेदार के द्वारा मिट्टी भराई का काम मिल जाएगा | मन काफी उदास हो गया ,अब हम लोग हॉस्पिटल के रास्ते भौआरा होते हुए बसुआरा गांव अपने घर जा रहे हैं | घर जाने के रास्ते में हुई मुलाकात में मजदूर असमंजस की स्थिति में दिख रहे थे | ये उन मजदूरों की पीड़ा थी जो कोई प्राइवेट नौकरी नहीं करते या घर पर उनके पास खेती के लिए पर्याप्त जमीन नहीं है । कटनी की सीजन में पंजाब चले जाते हैं और वहां करीब महीने का 20 हजार रुपये की कमाई हो जाती है |
No comments:
Post a Comment