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Friday, 18 November 2022

नवजात के बेहतर देखभाल तकनीक के प्रति जागरूकता जरूरी : सिविल सर्जन

 जन्म के बाद का 28 दिन नवजात के जीवन व विकास के लिहाज से महत्वपूर्ण 


जिले में 15 से 21 नवंबर तक नवजात शिशु सुरक्षा सप्ताह का हो रहा आयोजन 


नवजात के बेहतर देखभाल तकनीक के प्रति लोगों का जागरूक होना जरूरी 


 मधुबनी : 18 नवंबर 


नवजात के जन्म के बाद पहले 28 दिन उसके जीवन तथा विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है। बचपन के किसी अन्य अवधि की तुलना में नवजात के मृत्यु की संभावना इस दौरान अधिक होती है। इसलिये कहा जाता है कि नवजात के जीवन का पहला महीना आजीवन उसके स्वास्थ्य एवं विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होता है। शिशु मृत्यु दर के मामलों में कमी लाने व छह माह तक शिशुओं के बेहतर देखभाल के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 15 से 21 नवंबर के बीच नवजात सुरक्षा सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इस साल "सुरक्षा, गुणवत्ता और पोषण देखभाल, प्रत्येक नवजात शिशु का जन्मसिद्ध अधिकार" की थीम नवजात सुरक्षा सप्ताह का आयोजन जिले में किया जा रहा है। 


जागरूकता से नवजात मृत्यु के मामलों में कमी संभव :


नवजात सुरक्षा सप्ताह  कार्यक्रम को महत्वपूर्ण बताते हुए सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने कहा कि जन्म के पहले 28 दिनों में नवजात मृत्यु के अधिकांश मामले घटित होते हैं।एसआरएस 2020 के अनुसार राज्य का नवजात मृत्यु दर 21/1000 जीवित जन्म से एसडीजी का लक्ष्य 2030 तक नवजात मृत्यु दर  12/1000 जीवित जन्म तथा नेशनल हेल्थ पॉलिसी का लक्ष्य 2025 तक नवजात मृत्यु दर 16/1000 जीवित जन्म है. इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बिहार सरकार सतत प्रयासरत है इसी क्रम में प्रति वर्ष की तरह से 15 नवंबर से 21 नवंबर तक नेशनल न्यू वन वीक मनाया जा रहा है. डॉ झा ने कहा इसलिये जोखिम के कारणों की पहचान, उसका उचित प्रबंधन नवजात मृत्यु दर के मामलों को कम करने के लिये जरूरी है। इसलिये नवजात के स्वास्थ्य संबंधी मामलों के प्रति व्यापक जागरूकता जरूरी है। 


स्वच्छता, टीकाकरण व उचित पोषण जरूरी 


सिविल सर्जन ने कहा कि प्री-मैच्योरिटी, प्रीटर्म संक्रमण एवं जन्मजात विकृतियां नवजात मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है। नवजात के स्वस्थ जीवन में नियमित टीकाकरण, स्वच्छता संबंधी मामलों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। जन्म के एक घंटे बाद नवजात के लिये मां का गाढ़ा पीला दूध का सेवन जरूरी करायें। उचित पोषण के लिये छह माह तक मां के दूध के अलावा किसी अन्य चीज के उपयोग से परहेज करें। बच्चों के वृद्धि व विकास को बढ़ावा देने के लिये उचित पोषण महत्वपूर्ण है। 



ठंड में नवजात की सेहत का रखें खास ख्याल 


डॉ  झा ने बताया कि ठंड के मौसम में बच्चों को विशेष देखभाल की जरूरत होती है। शिशुओं को इस समय अधिक उर्जा की जरूरत होती है। इसलिये नियमित अंतराल पर स्तनपान कराना जरूरी है। इसके अलावा एक दो दिन के अंतराल पर बच्चे को गुनगुना पानी से नहलाएं, त्वचा की अच्छी से मालिश करें। बच्चे के कपड़ों को हमेशा साफ रखें। शरीर के तापमान को बनाये रखने के लिये त्वचा से त्वचा का संपर्क जरूरी है। इसके लिये कंगारू मदर केयर तकनीक शरीर के सामान्य तापमान को बनाये रखने के लिये सुरक्षित, प्रभावी व वैज्ञानिक रूप से सिद्ध तरीका है।


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