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Monday, 31 October 2022

सरदार पटेल और इंदिराजी को श्रद्धांजलि

 रिपोर्ट : संदीप कुमार

31:10:2022


 सोमवार को जिला कांग्रेस कमिटी मधुबनी के तत्त्वावधान में देश के आजादी आंदोलन के महानायक,भारतरत्न ,आजाद भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री सह गृहमंत्री लौहपुरूष स्व. सरदार वल्लभ भाई पटेल जी का 147 वां जयंती एवं महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, देश की प्रथम महिला प्रधानमंत्री, आधुनिक भारत के शिल्पकार, लौह महिला भारतरत्न स्व. श्रीमती इंदिरा गांधी जी की 39 वीं पुण्यतिथि पर जिलाध्यक्ष प्रो. शीतलाम्बर झा की अध्यक्षता में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

सर्वप्रथम दोनों महान विभूतियों के तैल चित्रों पर उपस्थित कांग्रेसजनों ने पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धासुमन अर्पित किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए जिलाध्यक्ष प्रो झा ने सरदार वल्लभ भाई पटेल एवं लौहमहिला श्रीमती इंदिरा गांधी की  व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि सरदार पटेल दृढ़ इच्छाशक्ति एवं पक्का इरादा के महामानव थे । आजादी आंदोलन में उन्हें कई बार अंग्रेजों ने कड़ी सजा दी और उन्हें जेल यातनाएं दी, लेकिन सरदार पटेल अंग्रेजों के आगे झुके नहीं  बल्कि पूरी ताकत से लड़ते रहे । आज़ादी के बाद देश के गृहमंत्री के रूप में उन्होंने कई महत्वपूर्ण काम किया । देश की सीमा को बड़ा किया और 565 रियासत के भारत में विलय का श्रेय उन्हें जाता है । वे गांधी जी के पक्का अनुनायी थे । गांधी जी की हत्या के बाद उन्होंने ही आरएसएस पर देश मे बैन लगाने का काम किया । वे सच्चे मायने में राष्ट्रभक्त नेता थे।

वहीं महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, देश के पूर्व प्रधानमंत्री लौहमहिला श्रीमती इंदिरा गांधी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं अपने पिता पंडित जवाहर लाल नेहरू के मार्गदर्शन में आजादी आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग ली ,देश के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने विश्व स्तर पर भारत के परचम को लहराया और आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया । अपने कार्यकाल में किसानों, मजदूरों, छात्रों, नौजवानों एवं महिलाओं के लिए कई उल्लेखनीय कार्य को मूर्तरूप दिया । देश मे उद्योगों का जाल, किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिंचाई की व्यवस्था के साथ कई काम की, देश में बैंकों का राष्ट्रीय करण,सेना का सशक्तिकरण, सड़कों एवं रेलवे का विस्तार किया ,गाँव गाँव में सरकारी स्कूल, अस्पताल, कॉलेज एवं विश्वविद्यालय की स्थापना की । उन्होंने ही प्रथम परमाणु बम विस्फोट कर दुनिया को चकित कर दिया और इसीलिए उन्हें लौहमहिला कहा जाता है । उन्हीं की देखरेख में 1971 में पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांटकर बांग्लादेश का निर्माण हुआ और पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर 1 लाख सैनिकों को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर किया । वे दृढ़निश्चय की प्रतिमूर्त्ति थी । वह देश की एकता और अखंडता से कभी भी समझौता नहीं की । इसीलिए उन्हें विदेशी साजिश का शिकार होना पड़ा और आज ही के दिन आतंकियों ने उनकी हत्या कर दी।

कार्यक्रम में अमानुल्लाह खान, ज्योतिरमण झा बाबा, ऋषिदेव सिंह, अकील अंजुम, शमसुल खां, विदेश चौधरी, आलोक कुमार झा, मो सबीर, अशोक प्रसाद, राजीव शेखर झा, धनेश्वर ठाकुर,मो अबुबकर, मुकेश कुमार झा पप्पू,विनय कुमार झा, महेश प्रसाद,अविनाश झा,उदित कुमार, राहुल मिश्रा, रमेश पासवान, अनिल चन्द्र झा,कौशल कुमार, मुरलीधर झा आदि उपस्थित थे ।


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