रिपोर्ट : उदय कुमार झा
27:10:2022
मधुबनी : रहिका प्रखण्ड अन्तर्गत गंधवारि गाँव में स्थित है - उग्रतारा मन्दिर । यह मन्दिर कितना पुराना है, इस बात की पुख्ता जानकारी वहाँ किसी को नहीं, किन्तु सभी ने इतना जरूर कहा कि 300 साल से ज्यादा पुराना मन्दिर है । दश महाविद्या में दूसरी महाविद्या तारा हैं जिन्हें उग्रतारा, एकजटा एवं नीलसरस्वती भी कहा जाता है । इनकी आराधना से भयंकर से भयंकर विपत्ति से मनुष्य सकुशल निकल जाता है ; ऐसी मान्यता है ।
1934 ई.के भूकम्प के बाद मिथिलांचल दो भागों में बंट गया था । पूर्वी भाग में सहरसा ज़िले के महिषी में माता उग्रतारा का मन्दिर बहुत प्रसिद्ध है । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वहाँ उग्रतारा महोत्सव की शुरुआत करवा दी जिससे कि देश-विदेश के लोग उस स्थान की महिमा के बारे में समझने लगे हैं । उसी प्रकार कोशी नदी के पश्चिम मधुबनी ज़िले के इस मन्दिर को भी विकसित करने की आवश्यकता है । मन्दिर के पास ज़मीन काफी है किंतु अतिक्रमित । स्थानीय प्रशासन एवं राजनेता अगर इस ओर ध्यान दें तो इस मन्दिर की अतिक्रमित भूमि को मुक्त करवाया जा सकता है और भूमि से मन्दिर का काफी विकास किया जा सकता है । सरिसब-पाही के प्रसिद्ध विद्वान म.म.डॉ. सर गंगानाथ झा का ननिहाल राज दरभंगा के वंशज महाराज कुमार वासुदेव सिंह के यहाँ था । गंगानाथ झा का बचपन भी यहाँ बीता और वे भी माँ के परमभक्त थे । उनकी कुलदेवी माँ उग्रतारा ही हैं ; ये बातें वहाँ मन्दिर का कार्यभार संभाल रहे नवल कुमार मिश्र ने कही । खुशी की बात यह है कि उग्रतारा मन्दिर जब कुछ वर्षों पहले जीर्ण-शीर्ण अवस्था में था और बिल्कुल ध्वस्त होने के कगार पर पहुँच चुका था तो वहाँ के ग्रामीणों ने आपसी चन्दा कर मन्दिर को गिरने से बचाया और जीर्णोद्धार किया । आज इस मंदिर परिसर में एक धर्मशाला जैसा स्थान बन चुका है जहाँ श्रद्धालु कुछ देर विश्राम कर सकते हैं । पेयजल की व्यवस्था हो गई है, सीसीटीवी कैमरे सुरक्षा की दृष्टिकोण से लगाए गए हैं, सुन्दर पुष्पवाटिका का निर्माण किया गया है और शौचालय की व्यवस्था की गई है । ये सारे काम स्थानीय लोगों के सहयोग से ही किये गए हैं । वर्त्तमान ज़िप सदस्य द्वारा भी विकासात्मक काम में योगदान किया गया है । मान्यता है कि इस मन्दिर में आकर शुद्ध मन से मनौती माँगी जाती है तो माँ उग्रतारा की कृपा से याचक के मन की मुराद जरूर पूरी होती है । यहाँ मनौती माँगनेवाले मनौती पूरा होने पर छागबलि भी देते हैं । नरेश कुमार मिश्र ने कहा कि अबतक मन्दिर के विकास का जितना काम हुआ है, वह सब ग्रामीणों के सहयोग से ही । आसपास के इलाके के ग्रामीणों की अगाध आस्था इस मन्दिर के प्रति है । कौशल कुमार मिश्र ने कहा कि इस मन्दिर की मान्यता कहीं से भी कमतर नहीं है । अगर राजनेता एवं जिला प्रशासन के पदाधिकारी चाह लें तो मधुबनी का "तारापीठ" विश्वविख्यात हो सकता है । अतिक्रमित भूमि को खाली करवाकर मन्दिर को विकसित कर यहाँ धार्मिक पर्यटन एवं रोजगार को बढ़ावा दिया जा सकता है ।
मन्दिर परिसर में आयोजित चार दिवसीय कालीपूजा कार्यक्रम में रेवंत कुमार मिश्र, रंजन कुमार मिश्र, राजकिशोर मण्डल, बुलान मिश्र, द्वारिका मिश्र, पंकज कुमार मिश्र सहित समाज के हर वर्ग के लोग उपस्थित थे ।ट्रैप
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