फाइलेरिया मुक्त अभियान को लेकर स्वास्थ्यकर्मी का हुआ प्रशिक्षण
- जागरूकता से बचा जा सकता है फाइलेरिया से- सिविल सर्जन
- डीईसी एवं अल्बेंडाजोल खाने से सेहत पर नहीं पड़ता कोई प्रभाव
समस्तीपुर, 15 जून ।
फाइलेरिया मुक्त अभियान की शुरुआत से पूर्व जिला के बनारस स्टेट के सभागार में जिला स्तरीय टीओटी का प्रशिक्षण हुआ । जिसमें सभी पीएचसी से चिकित्सा पदाधिकारी, सभी बीएचएम, बीसीएम केटीएस तथा सभी फाइलेरिया कर्मी को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के उपरांत यह कर्मी पीएचसी पर जाकर सभी आशा एवं सुपरवाइजर को प्रशिक्षण देंगे। जिनके द्वारा दवा का वितरण किया जाना है। प्रशिक्षण के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ विजय कुमार ने बताया फाइलेरिया मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से फैलता है। जब मादा क्यूलेक्स मच्छर खून चूसने हेतु किसी फ़ाइलेरिया मरीज के शरीर पर बैठती है तो मरीज के शरीर से उच्चरेरिया बैंक्रोफ्टी नामक परजीवी अपने शरीर में ग्रहण कर लेती और पुनः जब किसी स्वस्थ मनुष्य को रक्त चूसने हेतु काटती तो उसके शरीर में फ़ाइलेरिया परजीवी स्थानांतरित कर देती हैI। जिसके कारण फाइलेरिया रोग का प्रसार होता है। फ़ाइलेरिया मरीज को यदि सही समय इलाज नहीं कराया जाता है तो उसको हाथी पांव नामक बीमारी उत्पन्न हो जाता है । यदि सभी लोग लगातार पांच बार एमडीए के तहत होने वाले दवा वितरण डीसी एवं अल्बेंडाजोल का सेवन करें तो यह बीमारी नहीं होगी।
7 जुलाई से सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम का होगा आयोजन :
केयर इंडिया के डीपीओ प्रभाकर मिश्रा ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में 7 जुलाई से सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम चलाया जाएगा , जो 14 दिनों तक चलेगा। इसके तहत घर-घर जाकर स्वास्थ्य कर्मियों के द्वारा लोगों को डीईसी एवं अल्बेंडाजोल की दवा की खुराक साल में एक बार खिलाई जाती है। इसलिए लोग दवा की सालाना खुराक जरूर लें।इस अभियान में एमडीए के तहत 2 वर्ष से कम बच्चे , गर्भवती महिला ,अत्यधिक बीमार एवं अत्यधिक वृद्ध को छोड़कर सभी को दवा का सेवन कराया जाएगा। . फाइलेरिया एक लाइलाज़ बीमारी है। इसका कोई इलाज नहीं है, बल्कि समय रहते इसका सही उपचार किया जाए तो काफी हद तक इससे बचा जा सकता हैं। . फाइलेरिया व्यक्ति को मृत सम्मान बना देता है।हालांकि शुरुआती दौर में समय रहते इसे रोका भी जा सकता है। लेकिन हाथीपाँव होने के बाद से इसे खत्म नहीं किया जा सकता है।
यह है फाइलेरिया:
फाइलेरिया को हाथीपाँव रोग के नाम से भी जाना जाता है। . यह एक दर्दनाक रोग है जिसके कारण शरीर के अंगों में सूजन आ जाती है। . यह क्यूलेक्स नामक मादा मच्छर के काटने से फैलता है। . आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लसिका (लिम्फैटिक) प्रणाली को नुकसान पहुँचाता है.। फाइलेरिया से जुडी विकलांगता जैसे लिंफोइडिमा( पैरों में सूजन) एवं हाइड्रोसील(अंडकोश की थैली में सूजन) के कारण पीड़ित लोगों की आजीविका व काम करने की क्षमता प्रभावित होती है.।
सर्वजन दवा सेवन के फायदे:
फाइलेरिया के परजीवी को जल्द ख़त्म करने में मदद मिलती है और संक्रमण का स्तर अगले 2 सालों तक कम रहता है
इसके इस्तेमाल से साइड इफ़ेक्ट में कोई वृद्धि नहीं देखी गयी है
सर्वजन दवा सेवन उपचार से कम समय में फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है
.
जागरूकता से बचा जा सकता है फाइलेरिया से:
सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी ने बताया जागरूकता के अभाव में तथा समाज में फैली कुछ भ्रांतियों के कारण कुछ लोग फाइलेरिया की दवा खाने से कतराते हैं।
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