- दीदी की रसोई का व्यवसाय 1 वर्ष में हुआ 48 लाख रुपए
- 18 लाख से शुरू किया गया था व्यवसाय
- 30 दीदीयों को कुकिंग एवं हाउसकीपिंग का दिया गया था प्रशिक्षण, 6 दीदीयों का किया गया था चयन
मधुबनी /12 जून
सदर अस्पताल में मरीज बेहतर इलाज के साथ-साथ स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन का आनंद उठा रहे हैं। सदर अस्पताल में दीदी की रसोई खुल जाने से मरीजों के परिजनों को काफी सहूलियत हो रही है। यहां मरीजों को मुफ्त तथा उनके स्वजनों को उचित मूल्य पर गुणवत्तापूर्ण भोजन मिल रहा है। यहां पहुंचने वाले लोग भी खाने की तारीफ करते हैं। थालियों में जीविका की रसोई से बना हुआ स्वादिष्ट खाना मरीजों के चेहरे पर मुस्कान ला देती है। अस्पताल प्रबंधक अब्दुल मजीद ने बताया कि जीविका दीदियों द्वारा भोजन बनाने का कार्य किया जाता है। सुबह सात से खुलकर दीदी की रसोई रात्रि के आठ बजे तक चलती है। रोगियों को दिनभर में चार समय मुफ्त भोजन उनके बेड तक पहुंचाने की व्यवस्था है। वहीं आम लोग उचित मूल्य पर गुणवत्ता पूर्ण भोजन का आनंद उठा सकते हैं।
दीदी की रसोई का से 1 वर्ष में 48 लाख रुपए का हुआ व्यवसाय :
जीविका के प्रखंड प्रबंधक रविकांत ने बताया दीदी की रसोई का शुरुआत सदर अस्पताल में 13 अप्रैल 2021 को 18 लाख रूपये की पूंजी लगाकर की गई थी मई 2022 तक रसोई से 48 लाख का व्यवसाय किया जा चुका है. प्रति रोगी के लिए स्वास्थ्य विभाग से 150 रु का भुगतान किया जाता है. वहीं काउंटर से प्रतिदिन 4000 रु. का व्यवसाय होता है. रसोई के संचालन के लिए 30 आशा दीदी का कुकिंग व हाउसकीपिंग का प्रशिक्षण दिया गया था जिसमें 6 दीदी का चयन रसोई संचालन के लिए किया गया.प्रति दीदी 8500 रु. का प्रतिमाह वेतन मद में भुगतान किया जाता है. वर्तमान में सदर अस्पताल के अलावा झंझारपुर अनुमंडल अस्पताल व जयनगर अनुमंडलीय अस्पताल में दीदी के रसोई का संचालन किया जा रहा है.
गुणवत्ता और स्वच्छता का खास ख्याल :
भोजन में गुणवत्ता और स्वच्छता के मानकों का खास ख्याल रखा जा रहा है। साथ ही कोरोना संक्रमण के मद्देनजर पूरी तरह सावधानी बरती जा रही है। खाना पूरी तरह स्वच्छ और सुरक्षित रहता है। लिहाजा खाने को बाकायदा सिल्वर कवर से ढके जाने के साथ ही हेयर और माउथ मास्क के साथ हाथों में ग्लब्स लगाकर खाने को परोसा जाता है।
एक मरीज के भोजन के लिए मिल रहे 150 रुपये:
राज्य स्वास्थ्य समिति के करार के तहत जीविका समूह को प्रति मरीज भोजन के लिए 150 रुपये दिए जा रहे है। जिसमें प्रति वर्ष पांच फीसद की वृद्धि होगी। भुगतान की केंद्रीकृत व्यवस्था होगी। जीविका दीदियों को रसोई के लिए सदर अस्पताल परिसर में बिजली, पानी, शौचालय के साथ स्थान मुहैया कराया गया। हालांकि बिजली बिल का भुगतान स्वयं जीविका दीदियों को अपनी रसोई की कमाई से करना होगा।
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