जिला में फाइलेरिया उम्नूलन को ले नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति
-स्वास्थ्य विभाग व सीएफएआर के संयुक्त प्रयास से लोगों को किया गया जागरूक
-कुल आठ जगहों पर कालाकारों ने लोगों को बीमारी व उपचार की दी जानकारी
-आमजनों ने की स्वास्थ्य विभाग व सीएफआर के आयोजन की सराहना
दरभंगा,2 मई। स्वास्थ्य विभाग व सहयोगी एजेंसी सेन्ट्रल फार एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) के सहयोग से जिला के आठ जगहो पर फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। दो दिवसीय कार्यक्रम में पटना से आयी रंगकर्मियों की टीम ने आमजन को कला के माध्यम से फाइलेरिया से बचाव व उपचार की जानकारी दी। नुक्कड़ नाटक को देखने के लिये प्रखंडों में लोगों की भीड़ जुट गयी। लोगों ने इस पहल के लिये विभाग व सीएफएआर की सराहना की। बता दें कि कार्यक्रम रविवार व सोमवार को आयोजित किया गया। नुक्कड़ नाटक प्रस्तुति के बाद आधा दर्जन से अधिक टीम के सदस्य समस्तीपुर के लिये रवाना हो गये। बता दें कि अभियान की जानकारी जन- जन तक पहुंचाने के लिए लिए नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम इमलीघाट, बेला शंकर, श्यामा मंदिर परिसर, डीएमसीएच परिसर, सिंहवाड़ा, बहादुरपुर, सदर व हायाघाट में आयोजित किया गया। नुक्कड़ नाटक के जरिए कलाकारों ने समुदाय को फाइलेरिया के लक्षण बताने के साथ बचाव के तरीकों और 24 मार्च से चलने वाले अभियान के दौरान निश्चित रूप से दवा सेवन का संदेश अपने अनोखे अंदाज में प्रस्तुत किया। कलाकारों ने यह भी बताया कि दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारी से ग्रसित लोगों को छोड़कर यह दवा हर किसी को खानी है। मौके पर सीएफएआर के अजय कुमार मिश्रा, फाइलेरिया विभाग के इंस्पेक्टर गणेश महासेठ, सत्यनारायण पासवान, सतीष कुमार चौधरी, आदि मौजूद थे।
फाइलेरिया की गंभीरता को लोगों ने समझा-
बेला शंकर मे आयोजित नुक्कड़ नाटक देखने आये 65 वर्षीय बुजुर्ग सतीश कुमार व अन्य लोगों ने बताया कि नुक्कड़ नाटक की शुरुआत होने पर उत्सुकता बढ़ गयी। कलाकारों ने बहुत अच्छे तरीके से फाइलेरिया की गंभीरता को समझाया। कहा कि कलाकारों ने अपने संदेश में बताया कि साल में केवल एक बार फाइलेरियारोधी दवा खाने से फाइलेरिया की बीमारी से बचा जा सकता है। कलाकारों की प्रस्तुति सराहनीय है। बताया कि वह खुद अभियान के तहत घर- घर पहुंचकर मुफ़्त खिलाई जाने वाली दवाओं का सेवन करेंगे और परिवार व आस-पास के लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे।
मच्छर के काटने से होने वाला रोग है फाइलेरिया-
फाइलेरिया इंस्पेक्टर गणेश महासेठ ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन के लिये आमजन का सहयोग अपेक्षित है। बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है। जिसे सामान्यतः हाथीपाँव के नाम से भी जाना जाता है। इसके प्रभाव से पैरों व हाथों में सूजन, पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में ब्रेस्ट में सूजन की समस्या आती है। इस अभियान के तहत दो वर्ष से कम आयु के बच्चों, गर्भवती और गंभीर बीमारियों से ग्रसित व्यक्तियों को छोड़कर सभी को दवा खिलाई जाएगी.
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