एईएस प्रभावित बच्चों इलाज एवं टेली आईसीयू कंसल्टेशन सेवा प्रारंभ करने के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन
•जिले के 55 स्वास्थ्य कर्मी को दिया गया प्रशिक्षण
•एईएस के भ्रांतियों को दूर करने का किया गया प्रयास
समस्तीपुर/18 अप्रैल
अति गंभीर बीमारी एईएस/जेई से प्रभावित बच्चों का उचित प्रबंधन एवं पीकू /एईएस वार्ड में भर्ती कर इलाज सुनिश्चित करने तथा टेली आईसीयू कंसल्टेशन सेवा प्रारंभ करने के लिए स्थापित पीकू का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए जिला अस्पताल स्तर पर स्थापित पेडियाट्रिक इंसेंटिव केयर यूनिट( पीकू ) को क्रियाशील करने को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन बनारस स्टैंड कैंपस में किया गया प्रशिक्षण केयर इंडिया के ट्रेनर डॉ नीरज, डीएमओ डॉ.विजय कुमार,जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी संतोष कुमार, केयर इंडिया के ब्लॉक मैनेजर धर्मेंद्र कुमार के द्वारा दिया गया प्रशिक्षण में 55 स्वास्थ्य कर्मी सम्मिलित हुए जिसमें जीएनएम, एमओ तथा एलटी उपस्थित थे.
10 सैय्या वाले पीकू में एईएस प्रभावित बच्चों का होगा इलाज:
सिविल सर्जन डॉ एसके चौधरी ने बताया जिले के अस्पताल में 10 सैय्या वाले पीकू वार्ड में एईएस प्रभावित बच्चों के साथ-साथ 1 से 12 वर्ष तक के अति गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों का उपचार एवं देखभाल हेतु भर्ती कर पीकू का उपयोग किया जाएगा ताकि 1 माह से 12 वर्ष तक के अति गंभीर बच्चों का पीकू में भर्ती कर अविलंब त्वरित उपचार कर बच्चों की मृत्यु होने से बचाया जा सके.
चमकी से बचाव के उपाय:
प्रशिक्षण के दौरान जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी संतोष कुमार ने बताया कि बढ़ रहे तापमान में चमकी /एईएस का बढ़ना तय है। इससे बचाव के लिये अभिभावक अपने बच्चे को धूप से बचाएं। रात को किसी भी हालत में भूखे नहीं सोने दें। दिन में एक बार ओआरएस घोल कर जरूर पिलाएं। बच्चे को कच्चा लीची नहीं खाने दें। बच्चा अगर घर में भी है तो घर की खिड़की व दरवाजा बंद नहीं करें। हवादार रहने दें। साफ सफाई पर ध्यान दें। अपने क्षेत्र की आशा,चिकित्सकों व नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के नम्बर अपने पास रखें।
चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :
- लगातार तेज बुखार रहना।
- बदन में लगातार ऐंठन होना।
- दांत पर दांत दबाए रहना।
- सुस्ती चढ़ना।
- कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
- चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।
चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी :
- बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
- गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
- ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
- रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
- बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
- पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।
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