आईसीडीएस डीपीओ ने जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्र का किया निरीक्षण
•महिलाओं को एनीमिया से बचाव के बताए गए गुर
•बच्चों, महिलाओं व किशोरियों को साफ- सफाई की जानकारी दी
मधुबनी , 1 अप्रैल
राष्ट्रीय पोषण मिशन के अंतर्गत चल रहे पोषण पखवाडा के दौरान आईसीडीएस डीपीओ द्वारा जिले के विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया गया एवं केंद्रों पर विशेष आरोग्य दिवस आयोजन किया गया। इस दौरान एनीमिया पर विशेष तौर पर फोकस किया गया। साथ ही जानकारी दी गई कि किस प्रकार के भोजन के सेवन से गर्भवती व धातृ महिलाओं में एनीमिया की कमी को दूर किया जा सकता है।
इस मौके पर आयरन की गोलियों का भी वितरण किया गया। बालिकाओं का टीकाकरण करवाया गया। इसके अलावा वजन लिया गया व चिकित्सीय जांच की गई। वीएचएनडी पर बच्चों, महिलाओं और किशोरियों को साफ- सफाई की जानकारी भी दी गई। डीपीओ शोभा सिन्हा ने बताया कि पोषण पखवाड़ा के तहत इस बार एनीमिया पर फोकस किया गया। महिलाओं को इसके प्रति जागरूक किया गया। सभी केंद्रों पर एएनएम और सेविका समेत अन्य कर्मियों ने धातृ महिलाओं को सफाई पर विशेष ध्यान देने को कहा गया।वहीं टीकाकरण, पोषाहार वितरण, चिकित्सीय परीक्षण व बच्चों व किशोरियों का वजन दर्ज करवाया। पोषण अभियान के जिला समन्वयक स्मित प्रतीक चिन्ह ने महिलाओं को एनीमिया से बचाव के बारे में जानकारी दी। महिलाओं को बताया गया कि किस तरह का खान- पान का इस्तेमाल करने से एनीमिया से बचाव हो सकता है।आईसीडीएस डीपीओ ने बताया पोषण पखवाडा का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं माताओं व बच्चों और किशोरियों में कुपोषण और एनेमिया को कम करना है। व भारत को कुपोषण से मुक्त करना है। भारत सरकार द्वारा कुपोषण को दूर करने के लिए जीवनचक्र एप्रोच अपनाकर चरणबद्ध ढंग से पोषण अभियान चलाया जा रहा है।
6 माह तक बच्चे को कराएं केवल स्तनपान :
ज़िला कार्यक्रम पदाधिकारी शोभा सिन्हा ने बताया कि 6 माह तक के बच्चे को सिर्फ स्तनपान से ही आवश्यक सभी पाेषक तत्व मिल जाते हैं। लेकिन इससे बढती उम्र में बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास के लिए उपरी आहार आवश्यक होता है। बताया सामुदायिक सहभागिता के जरिए ऊपरी आहार से संबंधित व्यवहार परिवर्तन में सुधार के लिए इसको शुरू किया गया है । बच्चे के जन्म के प्रथम 6 माह में मां का दूध सर्वोतम आहार है।इस दौरान गर्भवती, धात्री माताएँ, किशोर/किशोरियों एवं 6 माह से लेकर 2 साल तक के बच्चों के पोषण में सुधार लाने का विशेष प्रयास किया जाएगा।
गृह भ्रमण पर होगा बल:
डीपीओ ने उपस्थित आँगनवाड़ी सेविका को निर्देश दिया की अपने-अपने पोषक क्षेत्र में पूर्व नियोजित घरों का भ्रमण करें । साथ ही कमजोर नवजात शिशु की पहचान, 6 माह से अधिक उम्र के बच्चों को ऊपरी आहार, महिलाओं में एनीमिया की पहचान एवं रोकथाम तथा शिशुओं में शारीरिक वृद्धि का आंकलन करने का कार्य करें । उन्होंने बताया भारत सरकार द्वारा 0 से 6 वर्ष तक के बच्चों एवं गर्भवती एवं धात्री माताओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में समयबद्ध तरीके से सुधार हेतु महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय पोषण मिशन अंतर्गत कुपोषण को चरणबद्ध तरीके से दूर करने के लिए आगामी 3 वर्षों के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं।
ये हैं अभियान के लक्ष्य :
•0 से 6 वर्ष के बच्चों में बोनेपन से बचाव एवं में कुल 6प्रतिशत,प्रतिवर्ष 2% की दर से कमी लाना।
•0से 6 वर्ष तक के बच्चों का अल्प पोषण से बचाव एवं इसमें कुल 6%, प्रति वर्ष 2% की दर से कमी लाना।
•6 से 59 माह के बच्चों में एनीमिया के प्रसार में कुल 9% प्रतिवर्ष 3% की दर से कमी लाना।
•15 से 49 वर्ष की किशोरियों गर्भवती एवं धात्री माताओं में एनीमिया के प्रसार में कुल 9% प्रतिवर्ष 3% की दर से कमी लाना।
•कम वजनके साथ जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में कुल 6% प्रति वर्ष 2% की दर से कमी लाना
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